Shani Jayanti 2025: हिंदू धर्म में शनि जयंती का बहुत अधिक महत्व माना गया है। यह पर्व ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है और इस साल जयंती 27 मई 2025 को पड़ रही है। शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, जो हमारे कर्मों के आधार पर हमें फल देते हैं। इस कारण शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा के कारण जीवन में परेशानियां बढ़ जाती हैं। साढ़ेसाती 7.5 साल की अवधि होती है। वहीं, ढैय्या 2.5 साल की होती है, और महादशा 19 साल तक चलती है। इस दौरान हमारे पूर्व में किए गए गलत कर्मों के चलते शनिदेव की क्रूर दृष्टि कष्ट प्रदान करती है।
क्यों मनाई जाती है शनि जयंती?
शनि जयंती वह दिन है, जब शनि देव का जन्म हुआ था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनि देव सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। अगर आपकी कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में है या साढ़ेसाती, ढैय्या या महादशा चल रही है तो आपको आर्थिक, मानसिक और शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं। इन परेशानियों से मुक्ति पाने लिए शनि जयंती के दिन शुद्ध मन से पूजा और उपाय करने चाहिए। इससे शनि देव की कृपा मिलती है और ये परेशानियां कम हो सकती हैं। शनि जयंती 27 मई को पड़ रही है और यह मंगलवार का दिन होगा, जो शनि देव को प्रसन्न करने के लिए और भी शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं कि इस शनि जयंती पर आप क्या-क्या उपाय कर सकते हैं।
शनिदेव को अर्पित करें तेल
शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। मंदिर जाएं और शनिदेव की मूर्ति पर सरसों का तेल अर्पित करें। इसके बाद काले तिल और नीले फूल अर्पित करें। शनिदेव को इमरती या तेल में बने पकवानों का भोग लगाएं। शनि मंत्र ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का 108 बार जाप करें। यह उपाय साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करता है।
पीपल के पेड़ की पूजा
अगर आप शनि मंदिर नहीं जा सकते, हैं तो पीपल के पेड़ की पूजा करें। पीपल को शनि देव का प्रिय माना जाता है। शनि जयंती के दिन सुबह पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें और शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं। पेड़ की 7 बार परिक्रमा करें और शनि चालीसा या शनि स्तोत्र का पाठ करें। यह उपाय शनि की महादशा के बुरे प्रभावों को कम करता है और पितरों का आशीर्वाद भी दिलाता है।
छाया करें दान
शनि जयंती पर छाया दान करना बहुत शुभ माना जाता है। एक कांसे या लोहे के कटोरे में सरसों का तेल लें। उसमें अपना चेहरा देखें और फिर उस तेल को किसी जरूरतमंद को दान में दे दें। यह उपाय शनि के अशुभ प्रभावों को कम करता है और अटके हुए काम पूरे होने में मदद करता है।
काले तिल और लोहे का दान
शनि जयंती के दिन काले तिल, काली उड़द, लोहे की वस्तु या काले कपड़े का दान करें। यह दान गरीबों, मजदूरों या जरूरतमंद लोगों को देना चाहिए। शनिदेव गरीबों की मदद करने वालों से बहुत प्रसन्न होते हैं। यह उपाय साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रभाव को कम करता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
हनुमान जी की पूजा
हनुमान जी की पूजा करने से भी शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं। शनि जयंती पर हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी को लाल फूल और सिंदूर चढ़ाएं। मान्यता है कि हनुमान जी ने शनिदेव को कई बार मुसीबतों से बचाया था, इसलिए उनकी पूजा से शनि की पीड़ा कम होती है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
ये भी पढ़ें- Vat Savitri Vrat 2025: वट सावित्री व्रत पर भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, नहीं तो सुहाग पर पड़ सकता है बुरा असर