किसी भी महीने की 8, 17 और 26 तारीख पर जन्मे लोगों के ऊपर शनिदेव की विशेष कृपा रहती है, क्योंकि 8 अंक के स्वामी शनि हैं। इन तारीखों पर जन्मे लोग न्यायप्रिय होते हैं और अपनी मेहनत से सफलता हासिल करते हैं। इन लोगों का स्वभाव शांत होता है और ये अपने परिवारवालों से बहुत प्यार करते हैं।
Shani Jayanti 2025: हिन्दू धर्म में शनि जयंती का विशेष महत्व है। इस दिन को न्याय के देवता शनि महाराज के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। शनि देव कर्मों का फल देने वाले देवता माने गए हैं, जो प्रत्येक मनुष्य को उसके अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 26 मई 2025 की दोपहर 12:11 मिनट से लेकर 27 मई 2025 की सुबह 08:31 मिनट तक रहेगी। इसलिए इस बार शनि जयंती आज 27 मई 2025 को मनाई जा रही है।
मान्यता है कि जो व्यक्ति शनि जयंती के दिन श्रद्धा और सच्चे मन से शनिदेव की पूजा करता है, उसके जीवन में आ रही परेशानियां कम होने लगती हैं। साथ ही साढ़ेसाती, ढैय्या और अन्य शनि दोष का प्रभाव कम होता है और जीवन में शांति, स्थिरता और सफलता का आगमन होता है। आइए जानते हैं शनि जयंती की पूजा के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शनि मंत्र आदि के बारे में…
आज शनि जयंती के सेलिब्रेशन से जुड़े पल-पल के लाइव और ताजा अपडेट्स के लिए बने रहें News24 के साथ…
शास्त्रों में शनिदेव के जन्म को लेकर विभिन्न मत हैं। कुछ ग्रंथों के अनुसार, शनिदेव का जन्म ज्येष्ठ माह की अमावस्या को हुआ था, जबकि अन्य मत भाद्रपद अमावस्या के दिन उनके जन्म का उत्सव मानते हैं।
शनिदेव भगवान सूर्य और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं। जब शनि का जन्म हुआ तो उनका रंग अत्यंत गहरा था। इसे देखकर सूर्यदेव ने माता छाया पर संदेह किया और शनि को अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। इस तिरस्कार से आहत होकर शनिदेव ने सूर्य को शत्रु मान लिया।
मां छाया चाहती थीं कि उनका पुत्र सूर्य से भी अधिक शक्तिशाली और पूज्य बने। अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए शनिदेव ने वर्षों तक घोर तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न किया।
शिव जी ने शनि की तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान दिया कि वे नवग्रहों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करेंगे और पृथ्वी लोक के न्यायाधीश होंगे। देवता, असुर, मानव सभी उनके नाम से भयभीत रहेंगे, लेकिन वे अपने कर्म के अनुसार ही न्याय करेंगे।
शनि देव को अक्सर क्रूर ग्रह माना जाता है लेकिन वे न्यायप्रिय और दयालु भी हैं। यदि किसी व्यक्ति के कर्म शुभ हों तो शनि की कृपा से उसे यश, वैभव और धन मिलता है। वहीं, गलत कर्म करने वालों को वे दंडित करने में भी देर नहीं लगाते।
शनि जयंती की रात कुछ विशेष स्थानों पर दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इससे घर में वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है और परिवार में खुशियां बढ़ती हैं। इसलिए आज रात शनि मंदिर और भैरव मंदिर में सरसों के तेल का एक दीपक जलाएं। इसके अलावा सरसों के तेल का एक दीपक पीपल के वृक्ष के नीचे और घर के मुख्य द्वार पर एक घी का दीपक जलाएं।
वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि 26 मई 2025 को दोपहर 12:11 मिनट से लेकर 27 मई 2025 को सुबह 08:31 मिनट तक है। जबकि भद्रा काल 25 मई 2025 को दोपहर 03:51 मिनट से लेकर 26 मई 2025 को प्रात: काल 02:01 मिनट तक था। 26 मई 2025 को अमावस्या तिथि के आरंभ होने से पहले ही भद्रा काल समाप्त हो गया। इसलिए आज शनि जयंती पर भद्रा की काली छाया नहीं पड़ रही है।
शनि जयंती पर दान करना शुभ होता है। इस दिन आप गरीबों को धन, गुड़, सरसों का तेल, काली उड़द, तिल, काला छाता, वस्त्र, लोहा, अनाज और गन्ने के रस का दान कर सकते हैं। इसी के साथ आज राहगीरों को पानी पिलाना भी शुभ रहेगा।