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यहां है भारत का एक सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंग, गंगा नदी के धरती पर आने से पहले ब्रह्माजी ने की थी तपस्या

Sawan 2024: भगवान शिव का प्रिय सावन का महीना 22 जुलाई, 2024 से आरंभ होगा। इस महीने में भगवान भोलेनाथ की पूजा और उपासना का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं, भगवान शिव के एक विशेष ज्योतिर्लिंग मंदिर के बारे में जहां ब्रह्मा जी ने भी पूजा की थी और उन्हें ॐ का रहस्य ज्ञात हुआ था।

Edited By : Shyam Nandan | Jul 4, 2024 06:50
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Sawan 2024: भगवान शिव के दिव्य स्वरूप लिंगम के दो रूप हैं, ज्योतिर्लिंग और शिवलिंग। भारत में देवाधिदेव भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिर हैं। इन्हीं में से एक ज्योतिर्लिंग को भारत का एक सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंग बताया जाता है। कहते हैं, धरती पर गंगा नदी के धरती पर अवतरित होने से भी पहले स्वयं ब्रह्माजी ने वहां एक शिवलिंग की स्थापना कर वहां पर तपस्या की थी। आइए जानते हैं, सावन 2024 के मौके पर, जो कि 22 जुलाई से आरंभ हो रहा है, इस प्राचीन ज्योतिर्लिंग के जुड़ी महत्वपूर्ण और रोचक बातें।

कहां स्थित है भारत का सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंग?

स्कंद पुराण के काशी खंड के अनुसार, जब धरती पर गंगा नदी भी अवतरित नहीं हुई थी। तब त्रिदेवों में से ब्रह्मा जी ने ॐ का रहस्य और उसके अर्थ को समझने के लिए काफी कठिन तपस्या की। उनकी कठोर तपस्या को देख भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट होकर उन्हें ॐ का रहस्य और अर्थ बताया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने वहीं पर उस ज्योतिर्लिंग की स्थापना कर पूजा की। बाद में यह स्थान ओंकारेश्वर ने नाम से प्रसिद्ध हुआ और वर्तमान में मध्य प्रदेश स्थित एक विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग धाम है।

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ॐ से बने ओंकारेश्वर का रहस्य

भगवान शिव का ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में ॐ के आकार में बने द्वीप पर नर्मदा नदी के तट स्थित है। इस द्वीप को मान्धाता या शिवपुरी कहते हैं। मान्यता है कि ओंकारेश्वर भगवान शिव का शयन स्थल है। देवाधिदेव शंकर तीनों लोक का भ्रमण करके प्रतिदिन इसी मंदिर में रात को सोने के लिए आते हैं। इस तीर्थस्थल के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि सारे तीर्थ करने के बाद जब तक व्यक्ति यहां आकर किए गए तीर्थों का जल अर्पित नहीं करता है, तब तक उसके सारे तीर्थ अधूरे माने जाते हैं। बता दें, मध्यप्रदेश में देश के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से 2 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं- एक उज्जैन में महाकालेश्वर के रूप में और दूसरा ओंकारेश्वर में ओंकारेश्वर-ममलेश्वर के रूप में।

भगवान शिव मां पार्वती संग खेलते हैं चौसर

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर भगवान शिव की शयन आरती के लिए विशेष रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि रात्रि के समय भगवान शिव यहां पर प्रतिदिन सोने के लिए लिए आते हैं और मां पार्वती के संग चौसर खेलते हैं। इसके लिए शयन आरती के बाद यहां चौसर बिछाई जाती है। रात में मंदिर के कपाट ही नहीं बल्कि हर दरवाजा, खिड़की और झरोखा बंद कर दिया जाता है, ताकि परिंदा भी पर नहीं मार सके। लेकिन जब सुबह में मंदिर खोला जाता है, तो चौसर के पासे बिखरे हुए मिलते हैं, जैसे किसी ने खेला हो।

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सावन में भगवान ओंकारेश्वर के दर्शन का महत्व

सावन मास भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है। इसलिए इस पवित्र महीने में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का महत्व और भी बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस महीने में ओंकारेश्वर धाम में किए गए भगवान शिव के पूजन और दर्शन से पापों का नाश होता है, जीवन की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यह भी मान्यता है कि इस महीने भगवान ओंकारेश्वर की पूजा करने से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। 

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Written By

Shyam Nandan

First published on: Jul 04, 2024 06:50 AM

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