Pushkar Snan 2025: पुष्कर स्नान राजस्थान के पुष्कर में स्थित पवित्र सरोवर में कार्तिक मास के दौरान किया जाने वाला अत्यंत शुभ स्नान है. मान्यता है कि इस स्नान से सभी पाप धुल जाते हैं, जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है. विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा का दिन इस स्नान के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है. हिन्दू धर्म में इस स्नान को जीवन को पवित्र और सार्थक बनाने का अवसर माना गया है, जिससे श्रद्धालु अपने पापों से मुक्ति, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करते हैं.
पुष्कर स्नान 2025 कब है?
इस वर्ष, पुष्कर स्नान की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की देव उठनी एकादशी को 1 नवंबर 2025 से हो चुकी है. स्नान का सबसे पवित्र दिन 5 नवंबर 2025 यानी कार्तिक पूर्णिमा को है. इस दौरान राजस्थान के अजमेर के पास पुष्कर में विशाल धार्मिक मेला आयोजित होता है, जिसमें देशभर से श्रद्धालु आते हैं. इस मौके पर यहां विश्व का सबसे बड़ा पशु मेला भी लगता है.
पुष्कर स्नान की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी पर यज्ञ करने का निश्चय किया, लेकिन उस समय वज्रनाभ नामक राक्षस आतंक फैला रहा था. ब्रह्माजी ने कमल के पुष्प से राक्षस का वध किया, और यह पुष्प धरती पर गिरकर तीन पवित्र सरोवरों, ज्येष्ठ, मध्य और कनिष्ठ पुष्कर का निर्माण किया. ब्रह्माजी ने यज्ञ के दौरान इन सरोवरों में स्नान और पूजा की, तभी से पांच दिनों का पुष्कर मेला मनाया जाने लगा.
ये भी पढ़ें: Hindu Mythology: रावण को कैसे मिली थी सोने की लंका, जानिए रामायण की यह रहस्यमयी कहानी
पृथ्वी का तीसरा नेत्र
पुष्कर को प्राचीन ग्रंथों में पृथ्वी का तीसरा नेत्र कहा गया है. ऐसा माना जाता है कि इस सरोवर में स्नान मात्र से एक साल के पुण्य की प्राप्ति होती है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्मा जी का ब्रह्म सरोवर में अवतरण हुआ था. इस दिन लाखों तीर्थ यात्री यहां आते हैं और ब्रह्मा मंदिर में पूजा, दीपदान और सरोवर स्नान करते हैं.
स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ
पुष्कर सरोवर का जल अमृत के समान स्वास्थ्यवर्धक और रोगनाशक माना गया है. यह केवल पाप निवारण का साधन नहीं है, बल्कि आध्यात्मिक शांति, मानसिक संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत भी है. श्रद्धालु मानते हैं कि यहां स्नान करने से जीवन में समृद्धि, सुख और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
पुष्कर को क्यों कहा जाता है पंचतीर्थ
पुष्कर झील उतनी ही प्राचीन मानी जाती है जितनी सृष्टि. चार धामों की यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों का यह अनुभव अधूरा माना जाता है यदि उन्होंने पुष्कर स्नान नहीं किया. 52 घाटों पर बने इस सरोवर में श्रद्धालु मन, वचन और कर्म से पवित्रता के साथ स्नान करते हैं.
ये भी पढ़ें: Samudrik Shastra: अंगूठा भी बताता है किस्मत, जानें अंगूठे के आकार से अपनी पर्सनैलिटी और भाग्य
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.










