Puja Path: आजकल माता रानी की पूजा का महान पर्व नवरात्रि मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत 3 अक्टूबर को हुई है और इसका समापन 12 अक्टूबर को विजयादशमी और रावण दहन के साथ होगा। मां दुर्गा की पूजा के बाद अक्टूबर महीने में ही दो ऐसी फलदायी और कल्याणकारी तिथियां पड़ रही हैं, जिस दिन उनके आराध्य और जीवनसाथी महादेव भगवान शिव की पूजा का विधान है।
सृष्टि के सामान्य दिनों में भगवान शिव का काम!
त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता हैं, जो सृष्टि का विनाश करते हैं। लेकिन सृष्टि का विनाश तो हर दिन नहीं होता है, तब भगवान महेश क्या करते हैं? पुराणों के अनुसार, सृष्टि के सामान्य दिनों में भगवान शिव मनुष्य के शरीररूपी संसार से मद, मोह, लोभ, अहंकार और काम जैसी बुराइयों का नाश करते हैं और मनरूपी मान सरोवर को पवित्रता प्रदान करते हैं। अक्टूबर महीने में भगवान शिव की उपासना की जिन दो पुण्यदायी तिथियों की यहां चर्चा हो रही है, वे हैं आश्विन और कार्तिक माह के प्रदोष व्रत।
क्यों खास है प्रदोष व्रत?
प्रदोष व्रत कोई सामान्य व्रत नहीं है। सबसे पहली बात तो यह कि प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथियों को पड़ता है। त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को समर्पित होने के कारण पवित्र मानी गयी है, वरना ये तिथि वर्जित हो जाती। धर्मग्रंथों और आचार्यों के अनुसार, त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत बेहद खास प्रयोजन से ही करना चाहिए। जिस विशेष उद्देश्य से जिन विशेष लोगों को यह व्रत ही करना चाहिए, उसे नीचे पढ़ सकते हैं।
प्रदोष व्रत किसे कब और क्यों करना चाहिए?
- जो कपल विवाह के बाद निस्संतान हैं और बहुत उपचार और उपायों के बाद भी लाभ नहीं हो रहा है।
- जिनका कोई काम या प्रोजेक्ट लंबे समय से रुका या अटका पड़ा हो और उसमें बार-बार बाधाएं आ रही हों।
- जिनका वैवाहिक जीवन सुखमय नहीं हो, परिवार में हमेशा तनाव और कलह का वातावरण रहता हो।
- जिन युवक-युवतियों की शादी नहीं हो पा रही हो, किसी न किसी कारण से रिश्ता फिक्स होने के बाद भी टूट जा रही हो।
- कोई ऐसे मनोकामना, जो लाख प्रयास करने के बाद भी पूरी नहीं हो पा रही हो, विदेश में कारोबार या पढ़ाई की कामना, मकान, दुकान, जमीन और अपना व्यवसाय हो की इच्छा रखना, नौकरी न मिलना आदि।
- कोर्ट-कचहरी के और पुलिस के मामले, जिसमें आप बेवजह फंस गए हों या आपका पक्ष सही है, लेकिन आपके शत्रु आप पर हावी हों या आपके हारने का भय हो।
- कोई असाध्य बीमारी हो, व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ रहा हो, इलाज में भारी खर्च के बावजूद फायदा नहीं होना।
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प्रदोष व्रत करने से लाभ
मान्यता है कि विधि-विधान से प्रदोष व्रत करने और रखने से भगवान शिव और माता पार्वती की शीघ्र कृपा प्राप्त होती है। इस व्रत को रखने से कठिन से कठिन काम भी बन जाते हैं। मुश्किल से मुश्किल वक्त भी गुजर जाता है। रूठे और नाराज हुए अन्य देवी-देवता भी प्रसन्न हो जाते हैं। हर प्रकार के ग्रह दोष और संकट समाप्त हो जाते हैं। कहते हैं, प्रदोष व्रत नियमित रूप से करने पर घर-परिवार में हमेशा सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
अक्टूबर 2024 में कब है प्रदोष व्रत?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, अक्टूबर 2024 में आश्विन माह का शुक्ल पक्ष जहां समाप्त हो रहा है, वहीं कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की शुरुआत हो रही है। इस प्रकार अक्टूबर में आश्विन माह के शुक्ल पक्ष और कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथियों को 2 प्रदोष व्रत रखे जाएंगे, जिनकी तारीखें इस प्रकार हैं:
आश्विन शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत: 15 अक्टूबर, 2024, मंगलवार
कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत: 29 अक्टूबर, 2024, मंगलवार
इनके लिए विशेष लाभकारी है भौम प्रदोष व्रत
बता दें कि देवाधिदेव भगवान शिव को अर्पित अक्टूबर माह ये दोनों प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ रहे हैं, जिसे भौम प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती के साथ भगवान हनुमान और मंगलदेव की पूजा की जाती है। रियल एस्टेट यानी जमीन और मकान के व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए ये दोनों प्रदोष व्रत विशेष लाभकारी है। इस फील्ड से जुड़े व्यक्ति यदि इन तिथियों को महादेव की पूजा से चूक जाते हैं, तो शायद उन्हें ऐसा शुभ मौका जल्दी न मिले और पछताना पड़ जाए।
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