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पितृपक्ष 2025 की कब से हो रही है शुरुआत? जानें तिथि और महत्व

Pitru Paksha 2025: हर साल पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह की पूर्णिमा से होती है और यह आश्विन माह की अमावस्या तक रहते हैं। कुल 15 दिनों लोग अपने पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर्म करते हैं। आइए जानते हैं कि साल 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत कब से हो रही है?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jun 26, 2025 18:57
Shraddh karma 2025
पितृ पक्ष 2025

Pitru Paksha 2025: वैदिक पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। साल 2025 में पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025 दिन रविवार से शुरू होंगे और 21 सितंबर 2025, रविवार को सर्व पितृ अमावस्या पर समाप्त होंगे। इन 15 दिनों की अवधि में लोग अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण कर्म करते हैं। इन दिनों में पड़ने वाली प्रत्येक तिथि विशिष्ट श्राद्ध अनुष्ठानों के लिए महत्वपूर्ण होती है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध करते हैं।

साल 2025 में श्राद्ध तिथियां

पितृ पक्ष की प्रत्येक तिथि का अपना महत्व है और लोग अपने पितरों की मृत्यु तिथि के आधार पर श्राद्ध करते हैं। आइए जानते हैं साल 2025 में किस दिन कौन सी तिथि है?

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7 सितंबर 2025, रविवार: पूर्णिमा श्राद्ध

8 सितंबर 2025, सोमवार: प्रतिपदा श्राद्ध

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9 सितंबर 2025, मंगलवार: द्वितीया श्राद्ध

10 सितंबर 2025, बुधवार: तृतीया और चतुर्थी श्राद्ध

11 सितंबर 2025, गुरुवार: महा भरणी और पंचमी श्राद्ध

12 सितंबर 2025, शुक्रवार: षष्ठी श्राद्ध

13 सितंबर 2025, शनिवार: सप्तमी श्राद्ध

14 सितंबर 2025, रविवार: अष्टमी श्राद्ध

15 सितंबर 2025, सोमवार: नवमी श्राद्ध

16 सितंबर 2025, मंगलवार: दशमी श्राद्ध

17 सितंबर 2025, बुधवार: एकादशी श्राद्ध

18 सितंबर 2025, गुरुवार: द्वादशी श्राद्ध

19 सितंबर 2025, शुक्रवार: त्रयोदशी और मघा श्राद्ध

20 सितंबर 2025, शनिवार: चतुर्दशी श्राद्ध

21 सितंबर 2025, रविवार: सर्व पितृ अमावस्या

सर्व पितृ अमावस्या इस अवधि का सबसे महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि इस दिन उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तिथि अज्ञात है या जिनका श्राद्ध अन्य तिथियों पर नहीं हो पाया। गया, वाराणसी और प्रयागराज जैसे तीर्थ स्थानों पर भी इस दिन विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

क्या है पितृपक्ष का महत्व?

पितृ पक्ष का आध्यात्मिक महत्व गहरा है, क्योंकि यह पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष दिलाने वाले दिन माने जाते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पितरों की आत्माएं पितृलोक में रहती हैं, जो यमराज के अधीन है। पितृ पक्ष के दौरान ये आत्माएं धरती पर आती हैं, जहां परिवार के लोग इनके निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं, जिससे इन पूर्वजों की आत्माएं तृप्त हो जाती हैं।

पितृपक्ष की समाप्ति पर ये पूर्वज अपने परिवार के सभी कष्टों को दूर करते हुए वापस पितृलोक चली जाती हैं। श्राद्ध कर्म से पितृ दोष का भी निवारण होता है, जो कुंडली में अशुभ प्रभाव डालता है। यह दोष तब बनता है जब पूर्वजों की अंतिम इच्छाएं अधूरी रह जाती हैं या उन्हें उचित सम्मान नहीं मिलता है। इस अवधि में किए गए अनुष्ठान पितरों को स्वर्गलोक की ओर ले जाते हैं और परिवार को सुख-शांति प्रदान करते हैं। अगर किसी व्यक्ति के एक ही बेटा होता है तो वह श्राद्ध कर्म करता है। अगर तीन हैं तो या तो सबसे बड़ा या सबसे छोटा बेटा श्राद्ध कर्म करता है। बीच वाले पुत्र को श्राद्ध कर्म नहीं करना चाहिए।

क्या होती है श्राद्ध और तर्पण की प्रक्रिया?

पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण की प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। तर्पण में जल, तिल और कुशा का उपयोग कर पितरों को जल अर्पित किया जाता है। यह अनुष्ठान पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना के तट या घर पर किया जा सकता है। पिंडदान में चावल, जौ और तिल से बने पिंड पितरों को समर्पित किए जाते हैं। गया और वाराणसी जैसे तीर्थ स्थानों पर पिंडदान विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसके अलावा, ब्राह्मणों को सात्विक भोजन खिलाया जाता है और उन्हें दक्षिणा, वस्त्र और अन्य सामग्री दान की जाती है।

कौवों का महत्व

इन दिनों में कौवों को भोजन देना शुभ माना जाता है, क्योंकि उन्हें यमराज का दूत माना जाता है। यदि कौआ भोजन ग्रहण करता है, तो यह संकेत है कि पितरों ने अर्पण स्वीकार कर लिया है।

पितृ पक्ष में करें ये काम

पितृ पक्ष के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करें और तर्पण करें। सात्विक भोजन बनाएं और जरूरतमंदों को दान दें। पितृ चालीसा और गीता के सातवें अध्याय का पाठ करें। कुशा, तिल और जौ का उपयोग अनुष्ठानों में करें।

न करें ये काम

पितृपक्ष के दिनों में मांसाहार, लहसुन और प्याज जैसे तामसिक भोजन से बचें। नए वस्त्र, गहने या संपत्ति की खरीदारी न करें। बाल या नाखून न काटें और दाढ़ी न बनवाएं। विवाह, सगाई या गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य न करें।

साल 2025 में पितृपक्ष पर बनेगा विशेष योग

2025 में पितृ पक्ष के दौरान गजच्छाया योग बनेगा, जो सूर्य के हस्त नक्षत्र और चंद्रमा के मघा नक्षत्र में होने पर बनता है। यह योग श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत शुभ होता है और इसके प्रभाव से अनुष्ठानों का फल कई गुना बढ़ जाता है। इस योग में किए गए तर्पण और पिंडदान विशेष रूप से प्रभावी माने जाते हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jun 26, 2025 06:57 PM

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