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Masik Shivratri 2024: 30 सितंबर या 01 अक्टूबर, कब है मासिक शिवरात्रि? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Masik Shivratri 2024: अविवाहित महिलाएं योग्य वर और विवाहित महिलाएं खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए हर माह मासिक शिवरात्रि का व्रत रखती हैं। हालांकि इस बार मासिक शिवरात्रि व्रत की तिथि को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं इस बार 30 सितंबर या 01 अक्टूबर, किस दिन आश्विन मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Sep 22, 2024 13:06
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Masik Shivratri 2024
अश्विन मासिक शिवरात्रि 2024

Masik Shivratri 2024: हिंदी कैलेंडर का सातवां महीना यानी आश्विन चल रहा है। इस दौरान कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिसके कारण इस अवधि में आने वाले व्रत और त्योहार का महत्व अपने आप में बढ़ गया है। आश्विन माह में भगवान शिव को समर्पित मासिक शिवरात्रि का व्रत भी रखा जाएगा। मासिक शिवरात्रि का व्रत हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ भगवान शंकर की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही जीवन में खुशहाली बनी रहती है। चलिए जानते हैं इस बार आश्विन माह में मासिक शिवरात्रि का व्रत किस दिन रखा जाएगा। इसी के साथ आपको मासिक शिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में भी जानने को मिलेगा।

मासिक शिवरात्रि कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार आश्विन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 30 सितंबर को शाम 07:06 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 01 अक्टूबर को देर रात 09:39 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर आश्विन माह की शिवरात्रि का व्रत 30 सितंबर 2024 को रखा जाएगा।

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मासिक शिवरात्रि की पूजा का मुहूर्त 

बता दें कि मासिक शिवरात्रि के व्रत की पूजा निशा काल में करनी लाभदायक होती है। शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त 30 सितंबर 2024 को रात 11 बजकर 47 मिनट से लेकर अगले दिन 1 अक्टूबर 2024 को प्रात: काल 12 बजकर 35 मिनट तक है।

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मासिक शिवरात्रि व्रत की पूजा विधि

  • मासिक शिवरात्रि के दिन प्रात: काल जल्दी उठें।
  • स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव करें।
  • घर के मंदिर में एक चौकी रखें। उसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं शिव जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • शिव जी का जलाभिषेक कर उन्हें बेल पत्र, फल, फूल और मिठाई का भोग लगाएं। इस दौरान शिव मंत्रों का जाप करें।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।
  • सुबह पूजा करने के बाद निशा काल में भी भगवान शिव के मंत्रों का जाप करके पूजा करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Written By

Nidhi Jain

First published on: Sep 22, 2024 01:06 PM

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