Mahashivratri 2025: आज महाशिवरात्रि है, जिसे हिंदुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन ये पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि को देर रात भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस तिथि पर शिव जी की बारात निकाली जाती है और महादेव-माता पार्वती की पूजा की जाती है।
साथ ही पूरी रात घर में जागरण व शिव मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा कहा तो ये भी जाता है कि महाशिवरात्रि की रात शिव जी तांडव नृत्य करते हैं, जो सृष्टि के विनाश और नई शुरुआत का प्रतीक है। चलिए जानते हैं आज रात के अंतिम प्रहर में शिव जी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
अंतिम प्रहर की पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि की रात अंतिम प्रहर में 3 से 6 बजे के बीच पूजा करनी चाहिए। इस दौरान अंतिम बार शिवलिंग पर गंगाजल, प्रसाद और फूल अर्पित करें। शिव जी की आरती करें। रात्रि के अंतिम प्रहर की पूजा के सुबह महाशिवरात्रि के व्रत का पारण किया जाता है। सबसे पहले शिव जी को भोग लगाएं और फिर प्रसाद खाकर व्रत खोलें। बचा हुआ प्रसाद घर के अन्य सदस्यों के बीच बांट दें। इस विधि से यदि आप व्रत का पारण करते हैं, तो आपको अपनी पूजा का पूर्ण फल जरूर मिलेगा।
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शिव-पार्वती जी की पूजा के शुभ मुहूर्त
- सूर्योदय- 27 फरवरी को सुबह 6:53
- ब्रह्म मुहूर्त- 27 फरवरी को सुबह प्रात: काल में 05:16 से 06:04 मिनट तक
- निशिता काल- 27 फरवरी को प्रात: काल में 12:09 से 12:59 तक
- रात्रि प्रथम प्रहर की पूजा का वक्त- 26 फरवरी को सुबह में 06:19 से 09:26 तक
- रात्रि द्वितीय प्रहर की पूजा का वक्त- 26 फरवरी को सुबह 09:26 से लेकर अगले दिन 27 फरवरी को प्रात: काल 12:34 तक
- रात्रि तृतीय प्रहर की पूजा का वक्त- 27 फरवरी को प्रात: काल में 12:34 से लेकर 03:41 तक
- रात्रि चतुर्थ प्रहर की पूजा का वक्त (अंतिम)- 27 फरवरी को प्रात: काल में 03:41 से लेकर 06:48 तक
व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, महाशिवरात्रि के व्रत का पारण 27 फरवरी 2025 को होगा। 27 फरवरी को प्रात: काल 06:48 से लेकर सुबह 08:54 तर व्रत के पारण का शुभ मुहूर्त है।
जागरण का महत्व
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, महाशिवरात्रि पर रात के समय जागरण करना शुभ माना जाता है। इससे साधक को शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही भक्तों को ज्ञान, धन, सुख, खुशहाली, शांति, प्रेम और समृद्धि आदि का वरदान मिलता है। व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नती होती है जिसके कारण उसका मन शांत रहता है और बीमारियों उससे बहुत दूर रहती हैं।
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