भगवान भोलेनाथ की तो दुनिया दीवानी है। वे बेहद दयालु और भोले हैं। उनका पूजन काफी सरल है। दरअसल भगवान शिव ही एक ऐसे देवता हैं, जिनको लिंग स्वरूप में भी पूजा जाता है। भगवान भोलेनाथ के भक्त जाने अनजाने में भक्तिवश अपने घर में शिवलिंग स्थापित कर लेते हैं, लेकिन शास्त्रों में इसके लिए कुछ खास नियम बताए गए हैं।
शिवलिंग को कोई भी अपने घर में रख सकता है, लेकिन इसके लिए नियम और कायदे काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। ऐसा न होने पर आपको सकारात्मक की जगह नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। शिवपुराण, लिंगपुराण और स्कंद पुराण में घर के अंदर शिवलिंग को स्थापित करने और उसके पूजन के बारे में विस्तार से बताया गया है। अगर नियम के बिना शिवलिंग को घर पर रखा जाए तो यह आपकी बर्बादी का कारण बन सकता है।
क्या कहते हैं पुराण?
शिवपुराण के अनुसार गृहस्थ व्यक्ति को छोटे आकार का शिवलिंग ही घर पर स्थापित करना चाहिए। इसके लिए शिवपुराण के कोटिरुद्र संहिता अध्याय 11 -12 में एक श्लोक दिया गया है।
अल्पं लिंगं गृहस्थस्य पूजनीयं विशेषतः।
बृहद् लिंगं न स्थाप्यं गृहे तत्र विनाशकृत्
इसका अर्थ है कि छोटे आकार के शिवलिंग को ही गृहस्थ लोगों को पूजना चाहिए। बड़े आकार के शिवलिंग को घर में रखने से विनाशकारी परिणाम मिल सकते हैं।
इसी प्रकार लिंग पुराण के पूर्वभाग अध्याय 19 के श्लोक 11-15 के अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति घर में शिवलिंग रखता है तो उसको शिवलिंग की नियमित पूजा करनी चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो घर से सुख, धन और शांति नष्ट हो जाते हैं।
गृहस्थो लिंगमादाय यत्नेन पूजयेद्यदि।
न पूजयेद्यदि दुष्प्राप्यं तत्सर्वं विनश्यति॥
ऐसे ही स्कंदपुराण के काशीखंड अध्याय 8 श्लोक 20-22 में बताया गया है के शिवलिंग की स्थापना घर पर कैसे और किस दिशा में करनी चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि शिवलिंग उत्तर या पूर्व दिशा में ही रखें।
शिवलिङ्गं गृहस्थस्य यत्नेन परिपूज्यते।
नैव सूते न च क्लेशं यत्र पूज्यं महेश्वरम्॥
गरुड़ पुराण के अचार कांड अध्याय 10 श्लोक 18-19 में कहा गया है कि अगर शिवलिंग को घर में स्थापित किया जाए तो उसकी कभी भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
अपूज्यमानं लिङ्गं हि दारिद्र्यं कुरुते गृहे।
नैव स्थाप्यं गृहं मध्ये यत्र नित्यं न पूज्यते॥
अगर घर में शिवलिंग रखा जाए, लेकिन उसका पूजन न किया जाए तो घर में दरिद्रता आती है। जहां भी शिवलिंग रखा जाए, वहां पर डेली नियम से पूजन किया जाए।
इन नियमों के अनुसार रखें शिवलिंग
घर में स्थापित शिवलिंग अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए। शिवलिंग को सीधे जमीन पर न रखें, हमेशा जलधारी के साथ स्थापित करें। जलधारी का मुख उत्तर दिशा की ओर जल प्रवाह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। घर में किसी की मृत्यु हो जाए तो 13 दिन तक शिवलिंग की पूजा न करें। शिवलिंग को किचन, बाथरूम या सीढ़ियों के नीचे नहीं रखना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि जहां शिवलिंग रखा हो, उसके ऊपर छत पर किचन, बाथरूम या सीढ़ियां न हों। शिवलिंग अगर स्थापित करें तो नियमित पूजा करें।
स्थापित कर सकते हैं ये शिवलिंग
- शिवपुराण के रुद्र संहिता के अनुसार पारद (पारा) का शिवलिंग घर में रखना सबसे शुभ माना जाता है। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है और सुख-समृद्धि और धन आता है। इस शिवलिंग को लाल कपड़े में लपेटकर या चांदी के आधार पर रखना चाहिए।
- स्कंदपुराण और लिंगपुराण के अनुसार नर्मदा नदी के किनारे मिलने वाले पत्थर से बने शिवलिंग काफी शुभ होते हैं।
- शिवपुराण के अनुसार आपक स्फटिक का शिवलिंग भी घर पर रख सकते हैं। इससे जीवन में मानसिक शांति आती है। धन और सुख समृद्धि बनी रहती है।
न रखें तांबे और पत्थर का शिवलिंग
गरुड़ पुराण के अनुसार काले पत्थर, काले संगमरमर या फिर तांबे से बने शिवलिंग को घर में रखना उचित नहीं होता है। दरअसल काले रंग को शनि ग्रह से जोड़ा जाता है। वहीं, तांबे का शिवलिंग मंदिरों और विशेष अनुष्ठानों के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन इसे घर में रखना शुभ नहीं होता है। इसके साथ ही सोने और पीतल के शिवलिंग को भी घर में स्थापित नहीं करना चाहिए।
इस धातु के शिवलिंग होते हैं शुभ
स्कंद पुराण और शिवपुराण के अनुसार चांदी का शिवलिंग घर में रखना शुभ माना जाता है। यह चंद्रमा से जुड़ा होता है और वास्तु दोष को भी दूर करता है।
होते हैं ये नुकसान
अगर कोई बिना नियम को मानते हुए शिवलिंग घर में रखता है या फिर नियमित पूजन नहीं करता है तो उसके घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। इसके साथ ही धन की कमी, मानसिक परेशानी और जीवन में अचानक समस्याएं आनी शुरू हो जाती हैं। इन सभी से बचने के लिए डेली शिवलिंग का पूजन काफी आवश्यक माना जाता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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