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Religion

Kajari Teej 2025: हरियाली तीज के कितने दिन बाद आती है कजरी तीज? जानें सही तिथि और पूजा का मुहूर्त

Kajari Teej 2025: सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज के व्रत का जितना महत्व है, उतनी ही खास आस्था कजरी तीज के उपवास से जुड़ी है। ये व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए रखती हैं। चलिए जानते हैं कजरी तीज के व्रत की सही तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Nidhi Jain Updated: Jun 24, 2025 14:16
Kajari Teej 2025
सांकेतिक फोटो, Credit- News24 Graphics

Kajari Teej 2025: सनातन धर्म के लोगों के लिए तीज व्रत का खास महत्व है। सबसे पहले हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है, जिसके 15 दिन बाद कजरी तीज और आखिर में हरतालिका तीज मनाई जाती है। इन तीनों तीज पर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही निर्जला उपवास रखना शुभ होता है।

मान्यता है कि जो महिलाएं कजरी तीज का व्रत रखती हैं, उनकी लव लाइफ में खुशियां बढ़ती हैं और पति की लंबी आयु का आशीर्वाद मिलता है। आज हम आपको भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को रखे जाने वाली कजरी तीज की सही तिथि और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में बताने जा रहे हैं।

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कजरी तीज 2025 में कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, साल 2025 में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 33 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 12 अगस्त को सुबह 08 बजकर 40 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस बार 12 अगस्त 2025, वार मंगलवार को कजरी तीज मनाई जाएगी। जबकि 27 जुलाई 2025 को हरियाली तीज और 26 अगस्त 2025 को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा।

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कजरी तीज की पूजा का मुहूर्त

  • सूर्योदय- प्रात: काल 05:49
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04:23 से लेकर सुबह 05:06 मिनट तक
  • अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:59 से लेकर दोपहर 12:52 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त- शाम में 07:03 से लेकर 07:25 मिनट तक
  • राहुकाल- दोपहर 03:45 से लेकर शाम 05:24 मिनट तक

कजरी तीज की पूजा विधि

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध लाल या हरे रंग की साड़ी पहनें और 16 श्रृंगार करें।
  • घर के मंदिर में एक मंडप बनाएं और उसके ऊपर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
  • हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
  • सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें। फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
  • शिव जी को गंगाजल, दूध, दही, शहद और बेलपत्र अर्पित करें।
  • देवी पार्वती को 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें। इस दौरान शिव मंत्रों का जाप करें।
  • पूजा समाप्त होने के बाद सभी सामग्री को बहते हुए पानी में प्रवाहित कर दें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 24, 2025 02:16 PM

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