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Kaalchakra: सत्यनारायण कथा से दूर होंगे सभी दुख-दर्द! पंडित सुरेश पांडेय से जानें नियम

Kaalchakra News24 Today: सत्यनारायण कथा में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप के बारे में बताया गया है, जिसका पाठ करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है। चलिए पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं सत्यनारायण कथा के महत्व और नियमों के बारे में।  

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Oct 17, 2024 10:59
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जानें सत्यनारायण कथा के महत्व-नियम

Kaalchakra News24 Today, Pandit Suresh Pandey: सनातन धर्म के लोगों के लिए सत्यनारायण कथा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से सत्यनारायण कथा का पाठ करते हैं, उनके सौभाग्य में वृद्धि होती है। घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और परिवार के प्रत्येक सदस्य को बुरी नजर से छुटकारा मिलता है। हालांकि सत्यनारायण कथा का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी होती है, नहीं तो पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता है।

आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको सत्यनारायण कथा के पाठ से जुड़े नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप का उल्लेख है।

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सत्यनारायण कथा पाठ के लाभ

  • शीघ्र विवाह के लिए और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए सत्यनारायण कथा का पाठ करना शुभ होता है।
  • संतान सुख के लिए भी सत्यनारायण का व्रत रखना शुभ होता है।
  • मान्यता है कि सत्यनारायण कथा के पाठ से निर्धन व्यक्ति भी धनी बन सकता है। इसके अलावा प्रत्येक व्यक्ति को परलोक की प्राप्ति होती है।

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सत्यनारायण कथा के नियम

  • धार्मिक मान्यता के अनुसार, सत्यनारायण कथा करने के लिए सबसे उत्तम दिन पूर्णिमा तिथि को माना जाता है।
  • पूर्णिमा तिथि के अलावा गुरुवार के दिन भी सत्यनारायण कथा का पाठ करना शुभ होता है।
  • संक्रांति के दिन घर में सत्यनारायण कथा का पाठ करने से परिवार पर मंडरा रहे संकट कम हो जाते हैं।
  • एकादशी तिथि में भी सत्यनारायण की कथा कराई जा सकती है।
  • अचानक परिवार पर कोई संकट आ गया है, तो ऐसी परिस्थिति में किसी भी दिन घर में सत्यनारायण की कथा की जा सकती है।
  • सत्यनारायण की कथा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके करनी चाहिए।
  • जिस स्थान पर कथा होनी है, उसे गंगाजल से पहले शुद्ध कर लें। उसी के बाद कथा करना आरंभ करें।
  • केले के पेड़ के नीचे सत्यनारायण की कथा करनी उत्तम मानी जाती है। केले का पेड़ नहीं है, तो केले के पत्ते का मंडप बनाकर भी पूजा की जा सकती है। इसके अलावा पूजा के भोग में पंजीरी, पंचामृत, केला और तुलसी जरूर होनी चाहिए।
  • कथा के दौरान ऊँ श्री सत्य नारायणाय नमः: मंत्र का मन ही मन जाप करना शुभ माना जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: Oct 17, 2024 10:59 AM

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