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Kaal Bhairav Jayanti 2024: भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की जयंती आज, इन 5 उपायों से करें प्रसन्न, बनेंगे बिगड़े काम!

Kaal Bhairav Jayanti 2024: हिन्दू धर्म में हर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान काल भैरव की पूजा के लिए कालाष्टमी रूप में मनाया जाता है। लेकिन मार्गशीर्ष की अष्टमी तिथि को उनका जन्म हुआ था, जिसे काल भैरव जयंती के रूप में मनाते हैं। आइए इस मौके पर जानते हैं, उनकी उत्पत्ति कथा और उन्हें प्रसन्न करने के उपाय।

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Nov 22, 2024 08:25
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Kaal Bhairav Jayanti 2024: शिव पुराण में काल भैरव को भगवान शंकर का एक अत्यंत उग्र और भयानक रूप बताया गया है। उनकी भयानकता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यमराज तक उनके भय से कांपते हैं। रुद्र, जो शिव के एक रूप हैं, को काल भैरव का पर्याय भी माना जाता है। काल भैरव काल से भी परे माने जाते हैं। वे समय और काल के अधिपति हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव की जयंती मनाई जाती है, जो कि आज शुक्रवार 22 नवंबर को पड़ रही है। आइए संक्षेप में जानते हैं, भगवान काल भैरव की उत्पत्ति कथा क्या है और उन्हें प्रसन्न करने के क्या उपाय हैं?

भगवान काल भैरव की उत्पत्ति कथा

भगवान शिव, सृष्टि के रचयिता और संहारक, ने विभिन्न रूपों में अवतार लिए हैं। इनमें से एक सबसे उग्र और भयानक रूप है काल भैरव। उन्हें दंडाधिपति और दंडपाणि भी कहा जाता है, जो उनके दंड देने वाले स्वरूप को दर्शाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी को अहंकार हो गया था। उन्होंने खुद को सर्वशक्तिमान समझना शुरू कर दिया और अन्य देवी-देवताओं का अपमान करने लगे। यह देखकर भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए। अपने क्रोध को शांत करने के लिए उन्होंने काल भैरव का रूप धारण किया।

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काल भैरव, भगवान शिव का यह उग्र रूप, ब्रह्मा जी के पास पहुंचा और अपने त्रिशूल से उनका एक सिर काट दिया। इससे पहले ब्रह्मा जी के पास 5 सिर थे। यह दंड ब्रह्मा जी के अहंकार को चूर-चूर करने के लिए दिया गया था। इस घटना के बाद ब्रह्मा जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा मांगी।

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भगवान काल भैरव का महत्व

काल भैरव का यह अवतरण हमें सिखाता है कि अहंकार और अभिमान कितने खतरनाक हो सकते हैं। यह हमें यह भी बताता है कि भगवान शिव न केवल दयालु हैं, बल्कि जब जरूरत होती है तो वे क्रोधित भी हो सकते हैं। काल भैरव का रूप हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। काल भैरव तंत्र-मंत्र के देवता माने जाते हैं, जिनकी पूजा से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं जैसे कि रोगों से मुक्ति, भय का निवारण और शत्रुओं का नाश।

भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के उपाय

भगवान भैरव हिंदू धर्म में भगवान शिव के सबसे उग्र और शक्तिशाली रूपों में से एक माने जाते हैं। उनका नाम ही उनके स्वरूप को बयां करता है। ‘भैरव’ शब्द का अर्थ है ‘भयानक’ या ‘जो भय से रक्षा करता हो’। मार्गशीर्ष माह की अष्टमी तिथि को उनके जन्मदिन के मौके पर उनकी पूजा और उपाय से काल यानी समय और मृत्यु भी उनसे भयभीत रहते हैं। आइए जानते हैं, कुछ आसान अपाय:

  • जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने के लिए भगवान काल भैरव के सामने घी का चौमुखा दीपक जलाकर अर्पित करें, कुत्ते और कौवे को मीठी रोटी और गुड़ खिलाएं, यदि वे देते ही रोटी या गुड़ खा लेते हैं, तो आपका काम बनना तय है।
  • भगवान काल भैरव को खुश करने के लिए उनके समर्पित वाले दिन किसी गरीब, भिखारी या जरूरतमंद व्यक्ति को वस्त्र या अनाज दान करें।
  • घर और परिवार के क्लेश से निजात पाने के लिए भैरव मंदिर में सरसों का तेल, खोए की मिठाई, काले वस्त्र, एक जलदार नारियल, कपूर, नींबू चढ़ाएं।
  • रुके और अटके हुए काम को पूरे करने के उद्देश्य कामना सिद्धि के लिए भैरव मंदिर में जाकर भगवान काल भैरव को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
  • सभी प्रकार के कष्ट और पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए भगवान काल भैरव काले वस्त्र और नारियल अर्पित करें और तिल/चमेली/सरसों के तेल के दीये से आरती करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी हस्तरेखा शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Nov 22, 2024 08:21 AM

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