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Religion

Hindu New Year 2025: नवरात्रि से हिंदू नव वर्ष शुरू, कई नाम से जाना जाता है नया साल; जानें महत्व और चैत्र मास क्या करना सही?

Hindu New Year 2025: चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि सनातन धर्म के लिए विशेष होती है। यह हिंदू धर्म का नया साल यानी की नव संवत्सर भारतीय नव वर्ष कहलाता है। इसकी शुरुआत महाराज विक्रमादित्य ने की थी इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहते हैं। इसी दिन से वासंतिक नवरात्र यानी चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो जाती है।

Author Edited By : Simran Singh Updated: Mar 24, 2025 11:04
Hindu New Year 2025
हिन्दू नया साल 2025

Hindu New Year 2025: ज्योतिष के अनुसार नव संवत्सर का एक विशेष नाम होता है। पूरे संवत का राजा और उसका विशेष मंत्रिमंडल होता है। इसी के आधार पर पूरे साल के शुभ और अशुभ फलों का निर्धारण किया होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल का आखिरी महीना फाल्गुन मास होता है। इसके बाद चैत्र मास आता है जो प्रथम यानी पहला महीना कहा गया है। चैत्र मास की शुरुआत मार्च और अप्रैल महीने में होती है। धर्म की अच्छी खासी जानकारी रखने वाली नम्रता पुरोहित ने नव संवत्सर यानी हिंदू नव वर्ष से संबंधित खास जानकारी दी है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

शास्त्रों के अनुसार चैत्र मास में ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना आरंभ की थी। हिंदू नव वर्ष की शुरुआत चैत्र मास से ही मानी गई है। हिंदू नव वर्ष को कई नाम से जाना जाता है।

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  • आंध्र प्रदेश में उगादि
  • पंजाब में बैसाखी
  • महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा
  • जम्मू कश्मीर में नवरस
  • सिंध में चैती चंडी
  • केरल में विशु
  • असम में रंगाली बिहू

नवरात्रि से हिंदू नव वर्ष शुरू

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत हो जाती है। साल 2025 में हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2082 है। इसका राजा सूर्य होगा और शक संवत के हिसाब से 1947 वां साल आरंभ होगा। वासंतिक या चैत्र नवरात्रि की शुरुआत भी इसी मास में होती है। इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च, रविवार से हो रही है।

चैत्र मास को यह नाम चित्रा नक्षत्र के कारण मिला है। चित्र 27 नक्षत्र में से 14 वां नक्षत्र माना गया है। अमावस्या के बाद जब मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर रोजाना एक-एक कला बढ़ती हुई। 15 दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्णता को प्राप्त होती है और चित्रा नक्षत्र के कारण चैत्र माह कहलाता है।

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नवरात्र का पर्व और मत्स्य जयंती

मान्यता है कि चेत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन से ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। शक संवत की शुरुआत भी इसी से होती है। इसी महीने में भगवान राम और आदिशक्ति देवी दुर्गा का प्रादुर्भाव हुआ है। चैत्र मास में ही नवरात्र का पर्व और मत्स्य जयंती भी मनाई जाती है। मत्स्य अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से पहले अवतार है। चैत्र मास में वसंत ऋतु का अंत और ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है यह मास शुभता और ऊर्जा का संचार करने वाला होता है।

ये भी पढ़ें- हिन्दू नववर्ष पर हल्दी के स्वस्तिक से करें धन को आकर्षित, जानें इसके अद्भुत लाभ!

चैत्र मास में क्या करें?

वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो चैत्र मास में अनाज खाना कम कर देना चाहिए। इसके अलावा पेय पदार्थ का सेवन करना चाहिए।

  1. पानी, जूस, फलों का सेवन ज्यादा मात्रा में करना चाहिए।
  2. चने का सेवन जरूर करें।
  3. चने का बना सत्तू बनाकर पीने से लाभ होता है।
  4. गुड़ का सेवन बिलकुल न करें।
  5. लाल फलों का दान देना चाहिए।
  6. नियमित रूप से पेड़ पौधों में जल डालना चाहिए।

चैत्र महीने का संबंध ज्योतिष से भी बहुत गहरा बताया गया है चूंकि इसी महीने से ज्योतिष गणना शुरू होकर पंचांग बनाए जाते हैं। इस बार चैत्र महीने की शुरुआत 15 मार्च से हुई है और इसकी समाप्ति समाप्ति 12 अप्रैल 2025 को होगी। चैत्र माह में देवी और सूर्य उपासना का विशेष महत्व है।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। 

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Edited By

Simran Singh

First published on: Mar 24, 2025 09:04 AM

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