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Dev Deepawali 2025 Date: जानिए कब है देव दीपावली, जब धरती पर इस जगह दिवाली मनाते हैं देवता

Dev Deepawali 2025 Date: हिंदू धर्म में मनुष्यों की दिवाली के बाद देवता भी दिवाली मनाते हैं, जिसे ‘देव दीपावली’ कहते हैं। क्या आप जानते हैं, यह त्योहार कब और कहां मनाया जाता है? आइए जानते हैं, उस खास जगह और तारीख के बारे में, जहां देवता धरती पर आकर दिवाली मनाते हैं।

Author Written By: Shyamnandan Author Published By : Shyamnandan Updated: Oct 23, 2025 15:26
Dev-Deepawali-2025

Dev Deepawali 2025 Date: हिन्दू धर्म में मनुष्यों की दिवाली के बाद एक दिन ऐसा आता है, जब देवता भी दिवाली मनाते हैं। देवताओं की यह दिवाली स्वर्ग में नहीं बल्कि धरती पर एक खास जगह पर होती है। चूंकि इस दिवाली में देवता शामिल होते हैं, इसलिए इसे ‘देव दीपावली’ कहते हैं। आइए जानते हैं, इस साल देव दीपावली कब है और वो जगह कहां हैं, जहां देवता स्वर्ग से उतरकर दिवाली मनाने आते हैं?

देव दीपावली 2025 कब है?

देव दीपावली यानी ‘देवताओं की दिवाली’ के दिन देवता स्वर्ग से उतरकर धरती पर आते हैं और दिवाली का उत्सव मनाते हैं। यह उत्सव हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 5 नवंबर 2025 को को पड़ रही है। यह त्योहार को हिन्दू धर्म में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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क्यों मनाई जाती है देव दीपावली?

देव दीपावली को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इसके पीछे एक प्राचीन कथा है, जिसमें सभी देवी-देवता और ऋषि त्रिपुरासुर नामक राक्षस से परेशान थे। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध कर सभी देवताओं और संसार की रक्षा की थी। इस विजय की खुशी में देवताओं ने दिवाली मनाई थी, इसलिए यह पर्व ‘देव दीपावली’ के नाम से जाना जाता है।

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देव दीपावली का महत्व

मान्यता है इस दिन पवित्र नदियों के किनारे दीपदान करने से भगवान का विशेष आशीर्वाद मिलता है, पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष के द्वार खुलते हैं। इसके अलावा, इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने पर मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।

काशी होता है अनूठा उत्सव

पुराणों के अनुसार, त्रिपुरासुर के वध होने की खुशी में देवताओं ने काशी में दिवाली मनाई थी। तब से काशी के घाटों पर देव दीपावली का त्योहार सबसे भव्य रूप से मनाया जाता है। कहते हैं, इस दिन सभी देवता भी स्वर्ग से उतरकर काशी आ जाते हैं और यहां के मंदिरों में दीये जलाते हैं। इस दिन न केवल काशी के लोग बल्कि दूर-दूर से लोग घाटों पर लाखों दीये जलाते हैं, जिसकी रोशनी पूरे शहर को जगमगाती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Oct 23, 2025 03:19 PM

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