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Ahoi Ashtami 2024: करवा चौथ के बाद अब अहोई अष्टमी का इंतजार, जान लें सही डेट और महत्व

Ahoi Ashtami 2024: करवा चौथ पूजा के बाद सौभाग्यवती और संतानवती महिलाओं को अब अहोई अष्टमी पर्व का इंतजार है। यह पर्व हर साल माताएं अपने बच्चों की दीघार्यु, तरक्की और खुशहाली के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं, अहोई अष्टमी व्रत रखने का सही डेट और महत्व क्या है?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Oct 22, 2024 13:15
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Ahoi Ashtami 2024: करवा चौथ बीत जाने के बाद अब महिलाओं को अहोई अष्टमी का इंतजार है। करवा चौथ व्रत जहां पति की लंबी आयु और सलामती के रखा जाता है, वहीं अहोई अष्टमी व्रत संतान की लंबी उम्र, तरक्की और खुशहाली के लिए रखा जाता है। यह व्रत करवा चौथ के 4 दिन बाद यानी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। आइए जानते है, अहोई अष्टमी व्रत की सही डेट, महत्व और पूजा विधि क्या है?

संतान से जुड़े कई व्रतों में अहोई अष्टमी काफी महत्वपूर्ण माना गया है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, तरक्की और खुशहाल जीवन के लिए व्रत रखती हैं। हिन्दू धर्म में अहोई माता को मां पार्वती का ही स्वरूप माना गया है। ऐसे में उनकी आराधना से महादेव का आशीर्वाद भी मिलता है।

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अहोई अष्टमी 2024 की सही तिथि

अहोई अष्टमी तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर, 2024 बुधवार को रात 1।18 मिनट पर होगी, जबकि यह तिथि बृहस्पतिवार 24 अक्टूबर, 2024 को रात 1।58 मिनट पर समाप्त होगी। इस प्रकार सूर्योदय की तिथि 24 अक्टूबर को पड़ने के अनुसार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर, बृहस्पतिवार के दिन रखा जाएगा।

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पूजा का मुहूर्त

बृहस्पतिवार 24 अक्टूबर, 2024 के दिन अहोई अष्टमी पूजा का मुहूर्त है शाम में 5 बजकर 42 मिनट से 6 बजकर 59 मिनट तक है। इस प्रकार पूजा की कुल अवधि 1 घंटा 17 मिनट रहेगी।

तारों को देखने का समय

अहोई अष्टमी पर शुभ मुहूर्त में अहोई माता की पूजा का विधान है, जो कि ऊपर दिया गया है। इस दिन निर्जला व्रत रखने बाद शाम में तारों को अर्घ्य देने के बाद इसका पारण किया जाता है। इस दिन तारों को देखने का समय 6।06 मिनट के बाद है, जबकि चंद्रोदय का समय रात 11।55 मिनट पर है।

अहोई अष्टमी पूजा-विधि

  • इस दिन माताएं और महिलाएं सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें। सुबह ही स्नान कर लेना चाहिए और साफ वस्त्रों को धारण कर लेना चाहिए।
  • दीवार पर गेरू या कुमकुम से देवी अहोई की छवि निर्मित करें।
  • शाम को पूजा सही मुहूर्त देख करें। पूजा में 8 पूड़ी, 8 पुआ तथा हलवा जरुर रखें।
  • पूजा के दौरान व्रत की कथा जरुर सुनें या पढ़ें। कथा सुनने के बाद देवी से बच्चों की रक्षा की प्रार्थना करें।
  • इस दिन सेई की भी पूजा की जाती है तथा सेई को हलवा एवं सरई की सात सींकें अर्पित की जाती हैं।
  • पूजा के बाद अहोई अष्टमी की आरती करें। आकाश में तारों को देख कर व्रत का पारण करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Oct 22, 2024 08:12 AM

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