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Religion

Adi Kailash Yatra: शिवधाम आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा आज से शुरू, जानें महत्व और जरूरी बातें

Adi Kailash Yatra: धार्मिक, आध्यात्मिक और दिव्य रोमांच से भरी आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा आज 14 मई, 2025 से शुरू हो रही है। तीर्थयात्रियों का पहला दल काठगोदाम से रवाना होगा। आइए जानते हैं, आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा क्यों महत्वपूर्ण है और इन शिवधाम यात्रा से जुड़ी जरूरी बातें क्या हैं?

Author Edited By : Shyamnandan Updated: May 14, 2025 09:55
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Adi Kailash Yatra: भगवान शिव के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पहला जत्था आज 14 मई, बुधवार को रवाना हो रहा है। आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र में होती है, इसलिए इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है। यह परमिट धारचूला में एसडीएम कार्यालय से प्राप्त किया जाता है। इस वर्ष अब तक कुल 102 श्रद्धालु इस पावन यात्रा के लिए पंजीकरण करवा चुके हैं। आइए जानते हैं, इन दोनों प्रसिद्ध शिवधाम की यात्रा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या और इस यात्रा से जुड़ी जरूरी बातें क्या हैं?

आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा का महत्व

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आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक आत्मिक और आध्यात्मिक यात्रा है। इस यात्रा से लौटे यात्री बताते हैं कि यह एक ऐसा अनुभव जो जीवन भर मन में बसा रहता है। यहां की शांति, प्रकृति की गोद, और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलकर इस यात्रा को हर श्रद्धालु के लिए ‘मस्ट डू पिल्ग्रिमेज’ (Must-Do Pilgrimage) बना देते हैं।

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ये दोनों स्थान स्थान उन सभी के लिए आदर्श है जो भगवान शिव के प्रति गहरी भक्ति रखते हैं। यहां की वादियां, पर्वत, झीलें सब कुछ एक अलौकिक शांति प्रदान करते हैं। कहते हैं कि ये मानसिक और आत्मिक शुद्धि: यहां की यात्रा जीवन की आपाधापी से दूर, आत्मा से संवाद करने का मौका देती हैं। यही कारण है कि इस यात्रा को भक्ति, आस्था और रोमांच का संगम कहा गया है।

ये अद्वितीय स्थान यात्रा को बनाते हैं विशेष

इस यात्रा के दौरान तीर्थयात्री हिमालय की गोद में हर मोड़ पर प्रकृति की दिव्यता को महसूस करते हैं। शुद्ध नैसर्गिक वातावरण और मन की भक्ति कठिन रास्तों के बावजूद इस यात्रा के हर कष्ट को सार्थक बना देती है। इस यात्रा के दो स्थल बेहद अद्वितीय हैं:

पार्वती ताल: आदि कैलाश के समीप स्थित यह पवित्र झील एक अत्यंत शांत और दिव्य स्थान है। मान्यता है कि माता पार्वती यहां तपस्या करती थीं। इस झील के किनारे बैठकर ध्यान करने से मन को गहरा सुकून और आत्मिक शांति मिलती है।

ओम पर्वत: यह पर्वत प्राकृतिक रूप से बर्फ से बने ‘ॐ’ चिन्ह के लिए प्रसिद्ध है। यह चिन्ह किसी अद्भुत चमत्कार से कम नहीं है और हर श्रद्धालु के लिए यह एक दिव्य दर्शन का अनुभव होता है। ओम पर्वत का दर्शन भक्तों के मन में श्रद्धा और विस्मय दोनों भर देता है।

आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा से जुड़ी जरूरी बातें

आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का पहला जत्था काठगोदाम से रवाना होकर नैनीताल, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ के विभिन्न मंदिरों के दर्शन करने के बाद गुंजी पहुंचेगा। फिर यहां सेसे जॉलिंगकोंग में आदि कैलाश और नाभीढांग में ओम पर्वत के दर्शन किए जाएंगे।

निर्धारित प्लान के पहले दिन तीर्थयात्रियों का जत्था काठगोदाम से भीमताल, जागेश्वर होते हुए 196 किमी दूरी तय कर पिथौरागढ़, दूसरे दिन पिथौरागढ़ से 96 किमी का सफर कर धारचूला जाएगा। पहला आधार शिविर धारचूला में रहेगा।

तीसरे दिन धारचूला से गुंजी, चौथे दिन गुंजी से वाया नाबी-कुटी होते हुए यात्री नाभीढांग जाएंगे. जहां गणेश पर्वत के दर्शन के बाद नाग पर्वत, व्यास गुफा, कालापानी में काली मंदिर दर्शन, नाबी पर्वत और नाभीढांग से ओम पर्वत दर्शन करेंगे. फिर पांचवें दिन तीर्थयात्रियों का जत्था गुंजी से ज्योलीकांग जाएगा।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 14, 2025 09:55 AM

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