Shri krishna Ashtakam Lyrics In Hindi: द्वापर युग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने कृष्ण जी के रूप में अपना आठवां अवतार लिया था, जिसे प्रेम, करुणा, मित्रता, ज्ञान और सामाजिक न्याय आदि का प्रतीक माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिन लोगों के ऊपर कृष्ण जी की विशेष कृपा होती है, उन्हें जीवन की हर परेशानी से लड़ने की हिम्मत मिलती है. ऐसे में जीवन में खुशहाली, धन, वैभव और ऐश्वर्य का स्थायी वास होता है. इसके अलावा मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए भी कृष्ण जी की उपासना करना शुभ होता है.
नियमित रूप से श्री कृष्ण अष्टकम का पाठ करके कृष्ण जी को प्रसन्न किया जाता है. श्री कृष्ण अष्टकम के पाठ में अद्भुत शक्ति है, जिसे पढ़ने व सुनने से विशेष लाभ होता है. खासकर, कृष्ण जन्मोत्सव और मासिक जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण अष्टकम का पाठ जरूर करना चाहिए. चलिए जानते हैं श्री कृष्ण अष्टकम पाठ के सही लिरिक्स के बारे में.
श्री कृष्ण अष्टकम के लिरिक्स (Shri krishna Ashtakam Lyrics In Hindi)
भजे व्रजैकमण्डनं समस्तपापखण्डनं
स्वभक्तचित्तरंजनं सदैव नन्दनन्दनम् |
सुपिच्छगुच्छमस्तकं सुनादवेणुहस्तकं
अनंगरंगसागरं नमामि कृष्णनागरम् || १ ||
मनोजगर्वमोचनं विशाललोललोचनं
विधूतगोपशोचनं नमामि पद्मलोचनम् |
करारविन्दभूधरं स्मितावलोकसुन्दरं
महेन्द्रमानदारणं नमामि कृष्णावारणम् || २ ||
कदम्बसूनकुण्डलं सुचारुगण्डमण्डलं
व्रजांगनैकवल्लभं नमामि कृष्णदुर्लभम् |
यशोदया समोदया सगोपया सनन्दया
युतं सुखैकदायकं नमामि गोपनायकम् || ३ ||
सदैव पादपंकजं मदीय मानसे निजं
दधानमुक्तमालकं नमामि नन्दबालकम् |
समस्तदोषशोषणं समस्तलोकपोषणं
समस्तगोपमानसं नमामि नन्दलालसम् || ४ ||
भुवो भरावतारकं भवाब्धिकर्णधारकं
यशोमतीकिशोरकं नमामि चित्तचोरकम् |
दृगन्तकान्तभंगिनं सदा सदालिसंगिनं
दिने दिने नवं नवं नमामि नन्दसम्भवम् || ५ ||
गुणाकरं सुखाकरं कृपाकरं कृपापरं
सुरद्विषन्निकन्दनं नमामि गोपनन्दनम् |
नवीनगोपनागरं नवीनकेलिलम्पटं
नमामि मेघसुन्दरं तडित्प्रभालसत्पटम् || ६ ||
समस्तगोपनन्दनं हृदम्बुजैकमोदनं
नमामि कुंजमध्यगं प्रसन्नभानुशोभनम् |
निकामकामदायकं दृगन्तचारुसायकं
रसालवेणुगायकं नमामि कुंजनायकम् || ७ ||
विदग्धगोपिकामनोमनोज्ञतल्पशायिनं
नमामि कुंजकानने प्रव्रद्धवन्हिपायिनम् |
किशोरकान्तिरंजितं दृअगंजनं सुशोभितं
गजेन्द्रमोक्षकारिणं नमामि श्रीविहारिणम् || ८ ||
यदा तदा यथा तथा तथैव कृष्णसत्कथा
मया सदैव गीयतां तथा कृपा विधीयताम् |
प्रमाणिकाष्टकद्वयं जपत्यधीत्य यः पुमान
भवेत्स नन्दनन्दने भवे भवे सुभक्तिमान || ९ ||
इति श्रीमद शंकराचार्यकृतं श्रीकृष्णाष्टकं सम्पूर्णम्
श्री कृष्ण अष्टकम का पाठ किस समय करें?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, रोजाना सुबह स्नान आदि कार्य करने के बाद मंदिर घर में बैठकर श्री कृष्ण अष्टकम का पाठ करना शुभ होता है. यदि आप इसका पाठ सुबह नहीं कर सकते हैं तो शाम में पूजा के दौरान भी श्री कृष्ण अष्टकम पढ़ सकते हैं. इससे न सिर्फ आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा, बल्कि धन-धान्य में भी वृद्धि होने लगेगी.
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