Bhai Dooj, Chitragupta Puja, Yam Dwitiya 2025: आज कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को भाई दूज के दिन यमुना जी ने अपने भाई यमराज को तिलक कर उन्हें भोजन कराया था. इसके बाद यमराज ने यमुना को वरदान दिया था कि, जो भी बहन आज भाई को तिलक कर भोजन कराएंगी उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा. भाई दूज पर यम द्वितीया और चित्रगुप्त पूजा का पर्व भी मनाया जाता है. आपको आज भाई दूज के दिन इन 3 आरतियों को जरूर करना चाहिए. इन्हें करने से आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलेगा.
यमुना माता की आरती (Yamuna Mata Ki Arti in Hindi)
ओम जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता।
जो नहावे फल पावे सुख दुःख की दाता।।
ओम जय यमुना माता…
पावन श्रीयमुना जल अगम बहै धारा।
जो जन शरण में आया कर दिया निस्तारा।।
ओम जय यमुना माता…
जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे।
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे।।
ओम जय यमुना माता…
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही।
तुम्हारा बड़ा महातम चारो वेद कही।।
ओम जय यमुना माता…
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो।
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो।।
ओम जय यमुना माता…
नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी।
मन बेचैन भया हैं तुम बिन वैतरणी ।।
ओम जय यमुना माता…
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यमराज जी की आरती (Yamraj Ji Ki Aarti in Hindi)
धर्मराज कर सिद्ध काज, प्रभु मैं शरणागत हूँ तेरी।
पड़ी नाव मझदार भंवर में, पार करो, न करो देरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मलोक के तुम स्वामी, श्री यमराज कहलाते हो।
जों जों प्राणी कर्म करत हैं, तुम सब लिखते जाते हो॥
अंत समय में सब ही को, तुम दूत भेज बुलाते हो।
पाप पुण्य का सारा लेखा, उनको बांच सुनते हो॥
भुगताते हो प्राणिन को तुम, लख चौरासी की फेरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
चित्रगुप्त हैं लेखक तुम्हारे, फुर्ती से लिखने वाले।
अलग अगल से सब जीवों का, लेखा जोखा लेने वाले॥
पापी जन को पकड़ बुलाते, नरको में ढाने वाले।
बुरे काम करने वालो को, खूब सजा देने वाले॥
कोई नही बच पाता न, याय निति ऐसी तेरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
दूत भयंकर तेरे स्वामी, बड़े बड़े दर जाते हैं।
पापी जन तो जिन्हें देखते ही, भय से थर्राते हैं॥
बांध गले में रस्सी वे, पापी जन को ले जाते हैं।
चाबुक मार लाते, जरा रहम नहीं मन में लाते हैं॥
नरक कुंड भुगताते उनको, नहीं मिलती जिसमें सेरी॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
धर्मी जन को धर्मराज, तुम खुद ही लेने आते हो।
सादर ले जाकर उनको तुम, स्वर्ग धाम पहुचाते हो।
जों जन पाप कपट से डरकर, तेरी भक्ति करते हैं।
नर्क यातना कभी ना करते, भवसागर तरते हैं॥
कपिल मोहन पर कृपा करिये, जपता हूँ तेरी माला॥
॥ धर्मराज कर सिद्ध काज..॥
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चित्रगुप्त भगवान की आरती (Chitragupta Maharaj Ji Ki Aarti)
ओम जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे,
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै।
मातु इरावती, दक्षिणा,वामअंग साजै ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन, प्रकटभये स्वामी॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका, करमें अति सोहै।
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवनमन मोहै ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
विश्व न्याय का कार्य संभाला, ब्रम्हाहर्षाये।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे, चरणनमें धाये॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह, यादतुम्हें कीन्हा।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं, इच्छितफल दीन्हा॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
दारा, सुत, भगिनी, सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुमतज मैं भर्ता ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी, शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती, प्रेम सहित गावैं।
चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी, पापपुण्य लिखते ।
‘नानक’ शरण तिहारे, आसन दूजी करते ॥
ओम जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे ॥ ओम जय चित्रगुप्त हरे…॥
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