शशांक शेखर
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट टैक्स की दरों को बरकरार रखा है। साथ ही वित्त वर्ष 2024-25 के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी में भी बदलाव नहीं किया गया है। इनकम टैक्स स्लैब में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है और नए टैक्स रिजिम के तहत 7 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। कॉरपोरेट टैक्स के तहत घरेलू कंपनियों के लिए तय मौजूदा 22 फीसदी टैक्स रेट भी वही रखा गया है। जबकि मैन्युफेक्चरिंग कंपनियों के लिए 15 प्रतिशत टैक्स दर बनी रहेगी, जो कॉरपोरेट टैक्स में स्थायित्व की ओर संकेत देते हैं।
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खास बात यह है कि वित्त मंत्री ने स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देने और वेल्थ या पेंशन फंड में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह के टैक्स बेनेफिट्स की बात कही है। इसके अलावा IFSC यूनिट्स के लिए टैक्स में छूट की तारीख को भी एक साल तक बढ़ाते हुए 31 मार्च, 2025 तक कर दिया गया है। बहुत सारी छोटी, गैर-सत्यापित मांगें, जिनमें से कुछ तो 1962 से चली आ रही हैं, ईमानदार टैक्स पेयर्स के लिए परेशानी का सबब बन जाती हैं। इस वजह से रिफंड में भी दिक्कत होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2009-10 वित्त वर्ष के लिए 25 हजार तक डायरेक्ट टैक्स डिमांड और 2010-11 से 2014-15 के लिए 10 हजार रुपये की डिमांड को वापस ले लिया है। इस एक कदम से एक करोड़ से ज्यादा करदाताओं को लाभ होगा।
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2024 के अंतरिम बजट भले ही बहुत बड़े बदलाव नहीं दिख रहे हैं, लेकिन यह देश की वित्त व्यवस्था की बेहतरी की ओर उठाया गया कदम और उसकी प्राथमिकता को दर्शाता है। बिजनेस और पेशेवरों को बजट से बेहतर योजना बनाने और सही फैसले लेने में मदद मिलेगी। हालांकि यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह सिर्फ अंतरिम बजट ही है और फाइनल नहीं है। चुनावों के बाद वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट पेश किया जाएगा। इसके बाद नई सरकार के दृष्टिकोण और भविष्य की योजनाओं का सही अंदाजा लग पाएगा।
(लेखक Fincirc Consulting India Private Limited में डायरेक्टर हैं।)
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