Health Tips: रीढ़ की हड्डी हमारे शरीर का जरूरी हिस्सा मानी जाती है। इसके कमजोर या टेढ़ा होने से हमारे शरीर पर बुरा असर पड़ता है। स्कोलियोसिस एक ऐसी स्थिति जिसमें रीढ़ की हड्डी बगल की ओर मुड़ जाती है। ये अक्सर किशोरावस्था के दौरान लोगों को प्रभावित करती, जो आज चिंता का कारण बन चुकी है। स्कोलियोसिस का जल्दी पता लगाना और सही समय पर इसका इलाज करना जरूरी होता है, क्योंकि ये आगे चलकर अन्य बीमारियों का कारण बन सकती है।
क्या है इस बीमारी का कारण?
किशोरों में स्कोलियोसिस होने की कई वजह हो सकती हैं, जैसे कि जीन, हार्मोन और रीढ़ की हड्डी में गहरी चोट। वहीं ज्यादातर मामलों में इसके कारणों का पता नहीं चलता है। इस दौरान लगातार पीठ में दर्द, कपड़े ठीक से न फिट होना, हिप में दर्द और उठने बैठने में दिक्कत होना शामिल है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
यशवंतपुर के मणिपाल अस्पताल में न्यूरो सर्जरी और स्पाइन सर्जरी के सलाहकार डॉ. अनमोल एन ने बताया कि इसका इलाज डॉक्टर आमतौर पर शारीरिक जांच से शुरू करते हैं, जिसमें हिप या कंधों जैसे लक्षणों की जांच की जाती है। यदि स्कोलियोसिस का संदेह है, तो एक्स-रे रीढ़ की हड्डी के टेढ़े होने की गंभीरता को निर्धारित करने में मदद करता है। ऐसे मामलों में जहां रीढ़ की हड्डी हल्की टेढ़ी यानी कि 25 डिग्री से कम टेढ़ी होती है। साथ ही डॉक्टर इसे समय रहते ठीक करने के लिए हर छह महीने में नियमित जांच की सलाह देते हैं।
मध्यम टेढ़ापन यानी किस 25 से 40 डिग्री वाले किशोरों के लिए डॉ. अनमोल एन ने सुझाव दिया कि उनके लिए बैक ब्रेस अक्सर तय किया जाता है। ये ब्रेस स्कोलियोसिस को ठीक नहीं करता है, लेकिन स्थिति को बिगड़ने से रोकने में मदद कर सकता है। ब्रेस पहनने इस बीमारी की गंभीरता कम हो सकती है। वहीं, गंभीर मामलों में, जहां टेढ़ापन 40 डिग्री से ज्यादा है, रीढ़ को सीधा करने के लिए सर्जरी की भी सलाह दी जाती है।
क्या है स्पाइनल फ्यूजन?
उन्होंने बताया कि स्पाइनल फ्यूजन, एक आम सर्जरी प्रक्रिया है, जिसमें रॉड, स्क्रू और हड्डी के ग्राफ्ट का इस्तेमाल करके प्रभावित हड्डियों को को स्थायी रूप से जोड़ा जाता है। ये दर्द को कम करने और मुद्रा में सुधार करने में मदद करता है। ब्रेसिंग और जब जरूरत हो तो सर्जरी के माध्यम से, डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि स्कोलियोसिस शारीरिक विकास और हेल्थ पर किसी भी तरह का बुरा असर न पड़े।
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