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Year Ender 2023: तेलंगाना-कर्नाटक में मिली सत्ता तो छत्तीसगढ़-राजस्थान को पड़ा गंवाना, कांग्रेस के लिए कैसा रहा यह साल

Year Ender 2023: साल 2023 राजनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए यह साल कैसा रहा, आइए जानते हैं...

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Dec 25, 2023 19:15
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Congress in 2023: कांग्रेस के लिए कैसा रहा यह साल (फोटो- एक्स)

Congress in 2023: साल 2023 अब चंद दिनों का मेहमान है, लेकिन यह साल राजनीतिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा। भारतीय जनता पार्टी को छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता दोबारा मिली तो वहीं कर्नाटक को गंवाना पड़ा। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के लिए भी यह साल मिला-जुला रहा। एक तरफ जहां उसने कर्नाटक और तेलंगाना में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की तो वहीं छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता से हाथ धोना पड़ा। कांग्रेस के लिए यह साल कैसा रहा, आइए इस पर एक नजर डालते हैं…

पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन

साल 2023 में फरवरी महीने में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में हार का सामना करना पड़ा। इनमें से नगालैंड में तो पार्टी अपना खाता खोलने में भी नाकाम रही।

त्रिपुरा में कांग्रेस ने वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। वह यहां महज तीन सीटों पर सिमट कर रह गई। राज्य में भाजपा फिर से सरकार बनाने में कामयाब रही। वहीं, मेघालय में कांग्रेस ने पांच सीटों पर जीत दर्ज की। भाजपा ने मेघालय में एनपीपी और नगालैंड में एनडीपीपी के साथ मिलकर सरकार का गठन किया।

दक्षिण भारत में कांग्रेस का प्रदर्शन

दक्षिण भारत के कर्नाटक और तेलंगाना राज्य में इस साल विधानसभा चुनाव हुए। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब रही। पार्टी ने कर्नाटक से भाजपा तो तेलंगाना से बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) की सरकार को उखाड़ फेंका।

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कर्नाटक में 10 मई को हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल की। उसे 224 में से 135 सीटों पर जीत हासिल हुई, जिसके बाद सिद्दरमैया मुख्यमंत्री और डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री बने। इससे पहले, 1999 में एसएम कृष्णा के नेतृत्व में कांग्रेस ने 40.84 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 132 सीटें जीती थी।

तेलंगाना में 30 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 119 में से 64 सीटों पर जीत दर्ज की, जिसके बाद रेवंत रेड्डी मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस को इस बार 45 सीटों का फायदा हुआ। इस चुनाव में सत्तारुढ़ बीआरएस को 39  और भाजपा को आठ सीटों से ही संतोष करना पड़ा।

हिंदी भाषी राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन

अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को हिंदी भाषी राज्यों में तगड़ा झटका लगा है। इस साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में करारी हार का मुंह देखना पड़ा। उसे भाजपा के हाथों छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता गंवानी पड़ी। वहीं, मध्य प्रदेश में एक बार फिर से सत्ता में आने का सपना चकनाचूर हो गया।

मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने जीत हासिल करने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने कई गारंटियों का वादा किया, लेकिन ‘मामा’ यानी शिवराज सिंह चौहान की योजनाओं, खासकर लाड़ली बहना योजना का तोड़ नहीं निकाल सकी। यहां कांग्रेस को 230 में से महज 66 सीटों पर ही जीत नसीब हुई।

राजस्थान
राजस्थान में हर पांच साल में सत्ता बदल जाने का रिवाज इस बार भी कायम रहा। कांग्रेस इसे तोड़ने में नाकाम रही। पार्टी को आपसी झगड़ों, खासकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मनमुटाव, का खामियाजा भुगतना पड़ा। इसके अलावा, कांग्रेस को पेपर लीक कांड और महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि का भी नुकसान उठाना पड़ा। यही वजह है कि पार्टी को 199 सीटों पर हुए चुनाव में महज 69 सीटों पर जीत हासिल हुई। वहीं, भाजपा ने 115 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में वापसी की।

छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस के लिए चौंकाने वाला रहा। इसकी वजह यह है कि यहां जीत को लेकर पार्टी पूरी तरह आश्वस्त थी। उसे विश्वास था कि भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस इस बार भी अच्छा प्रदर्शन करेगी। पिछली बार 2018 में हुए चुनाव में कांग्रेस को 90 में से 68 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि इस बार पार्टी को महज 35 सीटों से ही संतोष करना पड़ रहा है। कांग्रेस के सत्ता गंवाने के पीछे की वजह घोटालों, खासकर महादेव सट्टेबाजी एप घोटाला, को माना जा रहा है।

कांग्रेस की आगे की रणनीति क्या होगी?

कांग्रेस के लिए इस साल खुशखबरी दक्षिण भारत से आई। यहां पार्टी ने तेलंगाना और कर्नाटक में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की। हालांकि, हिंदी भाषी राज्यों में वह जनता का विश्वास जीतने में नाकाम रही। इस साल हुए विधानसभा चुनावों से यह साबित हो गया है कि भाजपा से जब भी सीधी लड़ाई की बात आती है, कांग्रेस की जीतने की संभावना काफी कम हो जाती है।

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कांग्रेस ने भाजपा का मुकाबला करने के लिए इस साल जुलाई में 26 विपक्षी दलों के साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (I.N.D.I.A) का गठन किया। हालांकि, आइएनडीआईए की तीन बैठकों के बाद कांग्रेस ने गठबंधन में शामिल दलों से बातचीत को ठंडे बस्ते में डाल दिया और विधानसभा चुनावों पर ध्यान केंद्रित किया। कांग्रेस की तेलंगाना में जीत से विपक्ष दक्षिण भारत में मजबूत हुआ है।

कांग्रेस के सामने क्या चुनौती है?

कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2024 में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को सत्ता में वापस आने से रोकना है। इसके लिए उसे सीट बंटवारे में अपने सहयोगियों के प्रति उदारता दिखाना होगा और राज्यों में ऐसे नेताओं की खोज करनी होगी, जो चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर सकें। कुल मिलाकर कांग्रेस के लिए यह साल मिला-जुला रहा।

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News24 हिंदी

First published on: Dec 25, 2023 07:05 PM

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