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Yatra Political Outcome: क्या राहुल गांधी को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का होगा लाभ? जानें आडवाणी से YSR तक को क्या हासिल हुआ

Yatra Political Outcome: राहुल गांधी और कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का आज समापन है। राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के अन्य नेताओं और यात्रियों ने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक करीब 4,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की। इस दौरान यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से भी गुजरी। अब सवाल ये है […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Jan 31, 2023 15:10
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Yatra Political Outcome

Yatra Political Outcome: राहुल गांधी और कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का आज समापन है। राहुल गांधी के साथ कांग्रेस के अन्य नेताओं और यात्रियों ने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक करीब 4,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की। इस दौरान यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से भी गुजरी। अब सवाल ये है कि यात्रा से राहुल गांधी और कांग्रेस को क्या और कितना लाभ होगा? दरअसल, इस सवाल का जवाब अभी तो मुमकिन नहीं है। कांग्रेस की इस यात्रा के पहले किन नेताओं ने यात्रा निकाली और उन्हें क्या लाभ हुआ, आइए इस पर एक नजर डालते हैं।

1983 में चंद्रशेखर की यात्रा

1983 में जनता पार्टी के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने कन्याकुमारी से पदयात्रा शुरू की थी। छह महीने बाद यात्रा नई दिल्ली पहुंची थी। यात्रा जब तक राष्ट्रीय राजधानी पहुंची, चंद्रशेखर का कद बढ़ चुका था और वे प्रधानमंत्री भी बने थे।

चंद्रशेखर की इस पदयात्रा को पार्टी ने देश की जनता के बीच जुड़ाव लाने के लिए काफी हद तक सफल माना। चन्द्रशेखर ने 6 जनवरी 1983 से 25 जून 1983 तक दक्षिण के कन्याकुमारी से नई दिल्ली में राजघाट (महात्मा गांधी की समाधि) तक लगभग 4260 किलोमीटर की पदयात्रा की थी।

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1985 में राजीव गांधी की संदेश यात्रा

1985 में मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के पूर्ण सत्र में राजीव गांधी ने ‘संदेश यात्रा’ की योजना की घोषणा की। नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुंबई, कश्मीर, कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से एक साथ यात्रा निकाली। यात्रा तीन महीने से अधिक समय के बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में संपन्न हुई।

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1990 लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा

मार्च 1990 में लाल कृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन को गति देने के लिए रथ यात्रा का नेतृत्व किया था। सितंबर 1990 में शुरू हुई यात्रा को 10,000 किमी की दूरी तय करनी थी और 30 अक्टूबर को अयोध्या में समाप्त होना था। इसे उत्तर बिहार के समस्तीपुर में रोक दिया गया और आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया।

आडवाणी की इस यात्रा को सफल माना क्योंकि इसने भाजपा की चुनावी और वैचारिक पहुंच को बढ़ाया। जैसे-जैसे मंदिर की मांग जोर पकड़ती गई, भाजपा की चुनावी किस्मत भी बदलती गई।

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1991 में मुरली मनोहर जोशी की एकता यात्रा

भाजपा की एक और यात्रा काफी चर्चा के साथ शुरू हुई थी, लेकिन उत्साहजनक भागीदारी नहीं होने के कारण विफल मानी गई। राष्ट्रीय एकता के लिए पार्टी के समर्थन और अलगाववादी आंदोलनों के विरोध को उजागर करने के लिए 1991 में ‘एकता यात्रा’ का नेतृत्व तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने किया था। यात्रा का समापन 26 जनवरी, 1992 को जोशी को श्रीनगर ले जाने और लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ हुआ था।

Yatra teaser: Mammootty is the protector of the masses as YS Rajasekhara Reddy

2003 में यात्रा ने राजशेखऱ रेड्डी को सत्ता तक पहुंचाया

2003 में एक यात्रा जिसने एक नेता को सत्ता तक पहुंचाया था। कांग्रेस नेता वाईएस राजशेखर रेड्डी ने आंध्र प्रदेश में चिलचिलाती गर्मी में 1,4000 किमी की पैदल यात्रा की। उन्होंने एक साल बाद कांग्रेस को शानदार जीत दिलाई, चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को हराया।

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2004 में भाजपा की ‘भारत उदय यात्रा’

2004 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी ने उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के लिए ‘भारत उदय यात्रा’ शुरू की। यह इंडिया शाइनिंग अभियान का हिस्सा था। इस यात्रा का कोई खास असर नहीं हुआ और 2004 के आम चुनाव में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा।

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2017 में जगन मोहन रेड्डी की ‘प्रजा संकल्प यात्रा’

अपने पिता राजशेखर रेड्डी की यात्रा से सीख लेते हुए वाईएसआरसीपी प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने 2017 में प्रजा संकल्प यात्रा की। यात्रा के तहत विधानसभा चुनाव से पहले पूरे आंध्र प्रदेश में 3,500 किमी से अधिक पैदल यात्रा की गई। यात्रा ने जगन को जनता से जोड़ने में मदद की और राज्य में वाईएसआर कांग्रेस को सत्ता में पहुंचा दिया।

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2017 में दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा

कांग्रेस को चुनावी सफलता दिलाने वाली एक यात्रा 2017 में शुरू की गई थी। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने नर्मदा के तट पर स्थित नरसिंहपुर जिले के बर्मन घाट से नर्मदा परिक्रमा यात्रा की शुरुआत की। हालांकि दिग्विजय सिंह ने कहा था कि यात्रा पूरी तरह से एक आध्यात्मिक अभ्यास था। वहीं, कई विश्लेषकों का मानना था कि इस यात्रा के राजनीतिक प्रभाव स्पष्ट थे और इसने मध्य प्रदेश में 2019 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की सफलता में योगदान दिया।

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BJPs Jan Ashirwad Yatra Covered A Distance Of 24 Thousand Km, Organized 5 Thousand Programs - भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा ने तय की 24 हजार किमी की दूरी, 5 हजार कार्यक्रमों

2022 में भाजपा ने की थी जन आशीर्वाद यात्रा

भाजपा ने पिछले साल अगस्त में पांच दिवसीय जन आशीर्वाद यात्रा शुरू की थी, जिसके तहत 39 केंद्रीय मंत्रियों को 22 राज्यों को कवर करने के लिए भेजा गया था। मंत्रियों ने 212 लोकसभा क्षेत्रों को कवर करने के लिए जन आशीर्वाद यात्राएं कीं और लोगों तक पहुंचने और उन्हें सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताने के लिए 19,567 किलोमीटर की यात्रा की।

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Written By

Om Pratap

Edited By

Manish Shukla

First published on: Jan 30, 2023 01:24 PM
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