साल 1971 की जंग में भुज के माधोपुर गांव की तीन सौ महिलाओं ने दिन रात एक कर भूखे प्यासे BSF की मदद से Air फोर्स के लिए रनवे तैयार किया था, जिसे पाकिस्तान ने तबाह कर दिया था। इसके बाद अजय देवगन, सोनाक्षी सिन्हा, संजय दत्त की इसी सच्ची घटना पर आधारित फिल्म BHUJ THE PRIDE OF INDIA आई थी।
इसे लेकर वीरांगनाओं ने News24 से बात की और उस समय कि कहानी वक्त की। उनकी उम्र उस समय महज 21 से 28 साल के बीच थी। उन्होंने कहा कि आज भी मौका मिले तो देश के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं और अब उनके बच्चे सेना की मदद करेंगे। 1971 की जंग की तीन बहादुर वीरांगनाएं, भुज एयरबेस रनवे को जब तैयार किया था।
कौन थी वह महिलाएं?
माधोपुर गांव की महिला सामू बैन विश्राम भंडारी, उस वक्त 21 साल की थी और अब उनकी उम्र 75 साल है। शाम बाई करसन खोखानी उस वक्त उम्र 28 की थी और आज वह 83 साल की हैं। कान बाई शिव जी उस वक्त 24 साल साल की थीं और 80 साल की हैं। फिल्म अभिनेता अजय देवगन के साथ इन वीरांगनाओं की तस्वीर भी हैं।
कैसे करती थीं काम?
अजय देवगन ने जिन विंग कमांडर विजय कार्णिक की भूमिका निभाई थी। इन महिलाओं को उस वक्त के विंग कमांडर कार्णिक ने मुलाकात कर रनवे बनाने के लिए मदद मांगी थी। ये सभी बताती हैं कि हम लोगों ने बिना जान की परवाह किए बगैर रनवे को 72 घंटे में तैयार किया था। पाकिस्तान की ओर क्राफ्ट लगातार हवा में उड़ते थे, सायरन बजता था तो वह पेड़ों के पीछे छिप जाते थे फिर बाद में निकल कर काम करने में लग जाते थे। सात दिनों में रनवे तैयार किया और आठवें दिन भारतीय सेना ने अपनी उड़ान यहीं से भरी और पाकिस्तान को धूल चटाते हुए जीत हासिल की थी।
पाकिस्तान को था डर
गौरतलब है कि 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी। 8 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के Sawre जेट्स ने 14 Napalm बम भारत के भुज स्थित एयरफोर्स बेस पर दागे गए थे। इन धमाकों से भारी नुकसान हुआ और भारतीय सेना का रनवे तबाह हो गया। इसकी वजह से सारे हवाई ऑपरेशन्स में बाधा आ गई थी। फिर इसी और बेस के पास की महिलाओं ने देश की सेना की मदद का बेड़ा उठाया और रनवे तैयार किया। हालांकि जान का खतरा हमेशा बना रहता था, क्योंकि पाकिस्तान को डर था कि की भारत का ये रनवे तैयार हो गया तो उसे करारी शिकस्त मिलेगी और हुआ भी यही की यहां की वीरांगनाओं ने वो कर दिखाया जो पाकिस्तान ने सपने में भी नहीं सोचा था।
300 महिलाओं की मेहनत की वजह से मिली जीत
पाकिस्तान की तरफ से किया गया दूसरा हमला इतना खतरनाक था कि भारतीय सेना को बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BFS) की मदद लेनी पड़ी। मगर भारतीय वायुसेना के पास इतने श्रमिक नहीं थे जो एयरस्ट्रिप को रिकवर कर पाते। इसके बाद जो हुआ उसने इतिहास ही बदलकर रख दिया। कैंप के नजदीक स्थित माधोपुर गांव की 300 महिलाओं ने ये ठान ली कि वे रनवे फिर से बनाएंगी। महिलाओं ने बिना किसी की परवाह किए दिन-रात एक कर दिए। बिना खाए-पिए वे लगातार मेहनत करती गईं और 72 घंटे के अंदर उन्होंने नया रनवे बना दिया।
आज भी लड़ने के लिए तैयार हैं महिलाएं
उस समय भुज एयरपोर्ट के इंचार्ज थे विजय कर्निक। फिल्म में ये रोल अजय देवगन ने प्ले किया है। उनके दिमाग में ही सबसे पहले ये खयाल आया था कि रनवे बनाने के लिए महिलाओं को साथ में लाना पड़ेगा। महिलाओं को इस काम के लिए इकट्ठा किया और विजय कर्णिक से मिलवाया। ये बुजुर्ग महिलाएं कहती है कि आज भी मौका मिला तो देश के लिए खडसे रहेंगी।
कैसे बना था रनवे?
उस वक्त तो JCB मशीन या अत्याधुनिक मशीन भी नहीं थी कुदाल, फावड़ा और टोकरी के जरिए रनवे बनाया था। तब तो इतने साधन भी नहीं थे। इन महिलाओं के नाम से वीर वीरांगना पंचायत गृह भी बना है, जो उनकी वीरता की गाथा को बयान करता है। उस वक्त इन्हें सरकार की तरफ से पचास हजार रुपए वीरता के रूप में पुरस्कार दिया गया था। उस वक्त की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने महिलाओं से मुलाकात कर उनकी बहादुरी के लिए शाबाशी दी थी।