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Explainer: क्या है रेलवे का DDEI सिस्टम, कैसे रोकेगा एक्सीडेंट? बचेगी यात्रियों की जान

What is Indian Railways DDEI System: भारतीय रेलवे रेल दुर्घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए नया सिस्टम डवलप कर रहा है। रेलवे ने डीडीईआई सिस्टम का सफलतापूर्वक ट्रायल पूरा किया है। भविष्य में इस सिस्टम को पूरे रेल नेटवर्क से जोड़ने की है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Pushpendra Sharma Updated: Jul 27, 2025 22:13
Indian Railways
भारतीय ट्रेन। Credit-Pexels

What is Indian Railways DDEI System: भारतीय रेलवे तकनीक के मामले में नए-नए प्रयोग कर रहा है। हाल ही में रेलवे ने हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया। अब रेलवे एक नई टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा मजबूत हो सकेगी। दरअसल, रेलवे ने तीन स्टेशनों पर डायरेक्ट ड्राइव इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग (DDEI) सिस्टम डवलप किया है। इस सिस्टम का पायलट टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया गया है।

रेलवे ने जम्मू और मध्यप्रदेश के ताजपुर समेत तीन स्टेशनों पर इस सिस्टम को टेस्ट किया है। जम्मू रेलवे डिवीजन में पठानकोट के पास दीनानगर रेलवे स्टेशन पर इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को टेस्ट करने का वीडियो भी सामने आया है। रेलवे का मानना है कि ये तकनीक रेल सुरक्षा बढ़ाने के लिए कारगर साबित होगी। भविष्य में इससे बालासोर एक्सीडेंट जैसी घटनाओं को भी रोकने में मदद मिलेगी। आइए जानते हैं कि रेलवे का DDEI सिस्टम क्या है और ये एक्सीडेंट को कैसे रोकेगा?

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क्या है रेलवे का DDEI सिस्टम?

रेलवे का नया डीडीईआई सिस्टम एक तरह का नया सिग्नल सिस्टम है। इससे ह्यूमन इंटरफेस पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। रेलवे की योजना भविष्य में पूरे रेल नेटवर्क में इसे इस्तेमाल करने की है। इस सिस्टम से पुराने सिग्नल सिस्टम पूरी तरह से बदल जाएंगे। पुराने सिस्टम में मैकेनिकल लिंकेज और रिले आधारित इंटरलॉकिंग होती है। जबकि नए सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट्स और सॉफ्टवेयर के जरिए ट्रैक स्विच और सिग्नल्स को कंट्रोल किया जाएगा। ये पूरा सिस्टम टेक्नोलॉजी आधारित रहेगा, जिसमें मानवीय भूल की संभावना बेहद कम होगी।

ये होगा फायदा

इस सिस्टम के जरिए सभी स्विच को सही ढंग से अलाइन हों और ट्रैक पर किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो, इसका ध्यान रखा जाएगा। इसके जरिए रेलवे फाटकों के ट्रेन आने से पहले बंद होने और रूट के पूरी तरह से साफ होने के बारे में भी आसानी से पता चल सकेगा। जिससे दो ट्रेनें आपस में भिड़ने से बच सकेंगी। नए सिस्टम में गियर की स्थिति भी रियलटाइम पता चल सकेगी, जिससे दुर्घटना की संभावना बेहद कम हो जाएगी।

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दो साल पहले शुरू किया था पायलट प्रोजेक्ट

बता दें कि रेलवे ने इससे जुड़े प्रोजेक्ट्स को 2023-24 में पायलट प्रोजेक्ट्स के तौर पर शुरू किया था। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि इसके परिणाम बेहतर आए हैं। DDEI में ऑप्टिकल फाइबर केबल के इस्तेमाल से तांबे की केबल की जरूरत लगभग 70 प्रतिशत तक कम हो सकती है।

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बालासोर हादसे में गई थी 297 लोगों की जान

बता दें कि ओडिशा के बालासोर में हुए रेल हादसे में 297 लोगों की जान चली गई थी। हादसा दो ट्रेनों के आपस में टकराने से हुआ। 2 जून 2023 को ये हादसा हुआ था। जब हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस की मालगाड़ी से टक्कर हो गई थी। इस हादसे की मुख्य वजह गलत सिग्नलिंग पाई गई थी। अब रेलवे ने ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए ये सिस्टम विकसित कर लिया है।

First published on: Jul 27, 2025 10:12 PM

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