Uddhav Thackeray Nitish Kumar Phone Call INDIA Alliance: देश में अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। सत्तारूढ़ चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। इसके लिए पिछले दिनों भाजपा ने केंद्रीय कार्यालय में एक बैठक भी आयोजित की थी। वहीं दूसरी ओर यूपीए की जगह बना नया इंडिया गठबंधन भी चुनाव में दमखम दिखाने के लिए अब तक 4 बैठकें कर चुका है लेकिन जिस प्रकार पिछली 2 मीटिंग में कयास लगाए जा रहे थे कि सीट शेयरिंग और संयोजक को लेकर सभी 26 पार्टियों में सहमति बन सकती है लेकिन ऐसा होता कुछ नजर नहीं आया।
पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी, पंजाब, दिल्ली, केरल, तमिलनाडु में सीट शेयरिंग को लेकर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। कुल मिलाकर हिंदी भाषी राज्यों में जेडीयू, आरजेडी, सपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा होना है।
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इस बीच बिहार में भी भारी राजनीतिक उथल पुथल मची हुई है। पहले जेडीयू में ललन सिंह ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। इसके बाद दिल्ली में कार्यकारिणी की बैठक हुई जिसमें नीतीश कुमार पार्टी के अध्यक्ष बन गए। इस बीच खबर यह भी थी कि जेडीयू के 20 से ज्यादा विधायक पाला बदलने की तैयारी में थे लेकिन ऐन वक्त पर नीतीश कुमार ने कमान संभाल ली। ऐसे में जेडीयू और आरजेडी के बीच मनमुटाव की खबरें भी सामने आई। कुल मिलाकर बिहार में भी राजनीति का संक्रमण काल चल रहा है।
निर्णय में देरी को लेकर दोनों नेता चिंतित
खबर है कि बिहार में मचे इस राजनीतिक घमासान के बीच शिवसेना उद्धव के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से फोन पर बात की। जानकारी के अनुसार दोनों नेताओं के बीच इंडिया गठबंधन की आगामी मीटिंग को लेकर बातें हुईं। इस दौरान सीट बंटवारे और दूसरे निर्णय को लेकर हो रही देरी पर भी दोनों नेताओं ने चिंता जताई।
जानकारी के अनुसार उद्धव ठाकरे ने फोन कर नीतीश कुमार से कहा कि अभी तक हम लोगों ने सीट शेयरिंग को लेकर कोई निर्णय नहीं किया है। हमारी कोई संयुक्त रैली नहीं हुई है। वहीं नीतीश ने कहा कि 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन केे बाद सरकार चुनावों की घोषणा कर सकती है ऐसे में हमारे पास समय शेष नहीं है। उद्धव ने कांगे्रस को लेकर भी अपनी नाखुशी प्रकट की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस गठबंधन में ज्यादा रूचि नहीं ले रही है। ऐसे में हमें ही कुछ कदम उठाने होंगे।
क्या कांग्रेस लटका रही है सीट शेयरिंग फाॅर्मूला
ऐसे में लग रहा है कि उद्धव ठाकरे और नीतीश कुमार अब गठबंधन की अगुवाई कर सकते हैं। हालांकि कांग्रेस अब अपनी न्याय यात्रा की तैयारियों में जुटी है। ऐसे में लगता नहीं है कि उसका इंडिया गठबंधन पर ज्यादा ध्यान है। कांग्रेस की एक ओर दिक्कत 272 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने की है। अगर ऐसा होता है तो 1952 के पहली बार होगा जब पार्टी बहुमत के आंकड़े से कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि इंडिया गठबंधन की अगली बैठक 7 जनवरी को प्रस्तावित हैं। ऐसे में सभी की नजरें उद्धव और नीतीश पर टिकी है।