Trump Tariffs New Update: अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के 50 प्रतिशत टैरिफ को लेकर नया अपडेट आया है। भारत सरकार के सूत्रों से जानकारी आई है कि भारत और अमेरिका के बीच जारी टैरिफ मुद्दे को सुलझाने के प्रयास किए जा रहे हैं और दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता के दरवाजे अभी खुले हैं। टैरिफ का असर उतना गंभीर नहीं होगा, जितनी आशंका जताई जा रही थी, क्योंकि भारतीय निर्यात व्यवस्था विविध है।
निर्यातकों के लिए घबराने की कोई वजह नहीं है और यह भारत-अमेरिका के लंबे समय तक चलने वाले संबंधों में एक अस्थायी चरण मात्र है। भारत और अमेरिका के बीच मुद्दे को सुलझाने के लिए लगातार संवाद जारी है। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वार्ता बंद नहीं हुई है। हालांकि टैरिफ के कारण व्यापार संकट गहराया है, लेकिन भारत पर टैरिफ का उतना असर नहीं पड़ेगा, जितना बताया जा रहा है।
‘ट्रंप टैरिफ बड़ा झटका है, लेकिन आपदा नहीं’, पूर्व राजनयिक महेश सचदेव की Tariffs पर प्रतिक्रिया
सिर्फ अमेरिका ही भारत के लिए बाजार नहीं
बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच करीब 132 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार होता है, जिसमें से करीब 87 अरब डॉलर का निर्यात भारत की ओर से अमेरिका को किया जाता है। IT सेवाओं, जेनेरिक मेडिसिन, टेक्सटाइल, कपड़े और रत्न-आभूषण का निर्यात व्यापार दोनों देशों के बीच होता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि अमेरिका ही भारत के लिए एकमात्र निर्यात बाजार है। भारत का निर्यात सिर्फ अमेरिका पर ही निर्भर नहीं है। भारतीय इकोनॉमी टैरिफ के झटके से निपटने के लिए तैयार है।
भारत ने सस्पेंड की पोस्टल सर्विस
बता दें कि टैरिफ विवाद के बीच भारत ने अमेरिका के खिलाफ 2 बड़े फैसले लिए हैं। एक फैसला अमेरिका के लिए पोस्टल सर्विस सस्पेंड करके लिया है। भारत समेत 25 देशों ने अमेरिका को पोस्ट भेजने पर रोक लगा दी है। अब सिर्फ लेटर और डॉक्यूमेंट अमेरिका को भेजे जाएंगे, क्योंकि अमेरिका 29 अगस्त से कस्टम ड्यूटी पर टैरिफ और नए नियम लागू करने जा रहा है, जिसका असर भारत पर पड़ सकता है।
‘इतना टैरिफ लगा दूंगा सिर घूम जाएगा’, ट्रंप ने PM मोदी से बातचीत को लेकर किया बड़ा दावा
ब्रिक्स देशों से व्यापार बढ़ाएगा भारत
दूसरी ओर, भारत सरकार की ओर से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने एक आदेश जारी किया है। बैंकों को कहा गया है कि वे भारतीय व्यापारियों को ब्रिक्स देशों के साथ व्यापारिक लेन-देन भारतीय करेंसी रुपये में करने की खुली परमिशन दें। ऐसे में अब व्यापारियों को रुपये में लेन-देन के लिए मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। लेन-देन के लिए व्यापारी वास्ट्रो अकाउंट का इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि ब्रिक्स देशों में नए निर्यात बाजार तलाशे जाएंगे।