Transgender Girl Expelled From School: देश में जहां आज से कानून के दायरे में ट्रांसजेंडर भी आ गए हैं। अब उन्हें भी कानून के तहत समानता का अधिकार मिलेगा। उनके खिलाफ अपराध होने पर केस होगा, इंसाफ मिलेगा। वहीं देश के एक राज्य में ट्रांसजेंडर लड़की को स्कूल से निकाले जाने का मामला सामने आया है। ट्रांसजेंडर गर्ल ने बिकिनी पहन स्विमिंग पूल में नहाते हुए की फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी तो स्कूल ने लड़की को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
स्कूल के इस एक्शन से नाराज मां ने प्रदेश के CM हिमंत बिस्वा को खत लिखकर इंसाफ की गुहार लगाई है। बच्ची की मां ने गुवाहाटी के प्रतिष्ठित स्कूल के प्रिंसिपल पर उसकी बेटी को बदनाम करने, उसे नीचा दिखाने, मजाक उड़ाने और उसके अस्तित्व पर सवाल उठाने के आरोप लगाए हैं। वहीं मामले में स्कूल के अधिकारियों ने भी अपना स्पष्टीकरण दिया है। अधिकारियों का कहना है कि लड़की की तस्वीरें अश्लील लग रही हैं और उन्होंने पोस्ट को हटाने के लिए कहा था।
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पीड़िता की मां ने खत में बयां किया दर्द
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने मुख्यमंत्री बिस्वा को खत में लिखा है कि उसकी 17 साल की बेटी ट्रांसजेंडर है। उसने अपनी बिकिनी पहने हुए स्विमिंग पूल में नहाने की फोटो अपने सोशल अकाउंट पर डाली थी, लेकिन उस पोस्ट के कारण उसे स्कूला से निकाल दिया गया। अगर लड़की का जन्म पुरुष के शरीर के के साथ हुआ है तो इसमें उसकी क्या गलती? उसे यह जीवन भगवान ने दिया है।
उसने अपने लिए संघर्ष भरा जीवन तो नहीं चुना था। यह उसे भगवान की देन है, लेकिन उसे अपनाने की बजाय, समाज में उसे धमकाया जा रहा है। उससे नफरत की जा रही है। स्कूल में जहां बच्चों को लोगों से बर्ताव करने के तरीके सिखाए जाते हैं, वहीं उसे जज किया जा रहा है। इससे उसकी बेटी की दुर्दशा हुई है। ऐसी दुर्दशा, जो उसके जैसे कई लोगों की इस देश में हुई होगी। उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों?
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बाल अधिकार संरक्षण आयोग करेगा कार्रवाई
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ित परिवार ने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा से कई बदलावों की मांग की है। इनमें स्कूलों में जेंडर इंक्लूसिव यूनिफॉर्म लागू करने। पुरुष-महिला के साथ थर्ड जेंडर विविधता को अपनाने, बदमाशी और शोषण के खिलाफ कार्रवाई करने, ट्रांसजेंडर की सुरक्षा बढ़ाने तक की मांग शामिल है।
वहीं मामले की शिकायत राज्य के ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड ने असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (ASCPCR) को भी दी है। शिकायत में कहा गया है कि बच्चे के शरीर का मजाक उड़ाना। उसकी तस्वीर देखकर उसे जज करना, उसका यौन शोषण करना सही नहीं। आयोग के अध्यक्ष श्यामल प्रसाद सैकिया ने मामले की निंदा करते हुए कहा कि पीड़िता का पक्ष सुना है। स्कूल अधिकारियों को बुलाकर उनका पक्ष भी सुना जाएगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई करेंगे।
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