Justice B.V. Nagarathna: सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने रविवार को एक कार्यक्रम में अपने पिता और देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ई.एस. वेंकटरमैया के कार्यकाल और उनके प्रति अपनी मां के आजीवन समर्थन को याद किया। दरअसल, वह बेंगलुरू में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी में एक सभा को संबोधित कर रही थीं।
लॉ स्कूल ने मुख्य न्यायाधीश वेंकटरमैया की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक व्याख्यान का आयोजन किया था। बता दें जस्टिस वेंकटरमैया ने रिटायर होने के बाद बेंगलुरू लॉ स्कूल में पढ़ाया भी था। बता दें जस्टिस नागरत्ना 2027 में पहली महिला चीफ जस्टिस बनने की कतार में हैं।
BREAKING: Justice B V Nagarathna – who will become the first woman Chief Justice of India in September 2027, takes oath as a judge of the Supreme Court. pic.twitter.com/6oKeR6qp3Q
— Nalini (@nalinisharma_) August 31, 2021
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नागपुर में वकीलों का अखिल भारतीय सम्मेलन था
कार्यक्रम के दौरान जस्टिस नागरत्ना ने देश के दो वकीलों की कहानी बताई, जिनमें से एक उनके पिता जो बाद में देश के चीफ जस्टिस बने और दूसरे आर वेंकटरमन जो बाद में देश के राष्ट्रपति बने थे। जस्टिस नागरत्ना ने बताया कि बात दिसंबर 1946 की है। नागपुर में वकीलों का अखिल भारतीय सम्मेलन था। उन्होंने बताया कि उस समय चूंकि बैंगलोर और नागपुर के बीच कोई सीधी ट्रेन नहीं थी तो इसलिए ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ने के लिए लोगों को चेन्नई जाना पड़ता था।
43 साल बाद राष्ट्रपति भवन में दोबारा हुई मुलाकात
इस सम्मलेन में शामिल होने के लिए एक डिब्बे में बैंगलोर और मद्रास से कुछ वकील यात्रा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस ट्रेन में सफर कर रहे दो वकील इस सम्मेलन के करीब 43 साल बाद जून 1989 में राष्ट्रपति भवन में दोबारा मिले। ये थे पहले राष्ट्रपति आर वेंकटरमन और दूसरे जिन्हें वह देश के चीफ जस्टिस के रूप में शपथ दिलाने वाले थे उनके पिता न्यायमूर्ति ईएस वेंकटरमैया।
पिता की बात करते हुए न्यायमूर्ति नागरत्ना हुईं भावुक
अपने संबोधन के दौरान न्यायमूर्ति नागरत्ना भावुक दिखीं, उन्होंने कहा कि वह इसे अपना सौभाग्य मानती हैं कि उन्हें अपने पिता के बहुमुखी व्यक्तित्व से जीवन के महत्वपूर्ण सबक मिले। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा उनके मार्गदर्शन में कानून की छात्रा रही हूं। मैंने उनके व्यक्तित्व में एक ताकत देखी है, जिसने मेरे व्यक्तिगत विश्वास को और मजबूत किया है कि अच्छे काम के लिए लड़ना सबसे अधिक फायदेमंद होता है।
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