कोलकाता से अमर देव पासवान की रिपोर्ट: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को नेताजी की 126वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आलोचक कह रहे है कि नेताजी धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते थे जो कि संघ की हिंदुत्ववादी विचारधारा के विपरीत है।
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भारत बहुत पहले स्वतंत्र हो गया होता
उन्होंने कहा कि अगर समय का भाग्य चक्र सीधा चलता तो नेताजी भारत के अंदर प्रवेश करके बहुत आगे आ चुके होते, यहां रहकर यहां की स्वतत्रंता के लिए प्रयास करने वालों से उनका मिलन होता और भारत बहुत पहले स्वतंत्र हो गया होता।
संघ प्रमुख ने नेताजी के युद्ध कौशल का वर्णन करते हुए कहा कि उनका युद्ध कौशल तो पूरे संसार में प्रसिद्ध हैं। जिनके साम्राज्य का कभी सूर्यास्त नहीं होता, ऐसे लोगों के लिए एक नई सेना बनाकर उन्होंने एक चुनौती खड़ी की और भारत के दरवाजे पर दस्तक दी।
स्थिति और रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक
भागवत ने कहा नेताजी का भारत को महान बनाने का सपना अब भी पूरा नहीं हुआ है। हमें इसे हासिल करने के लिए काम करना होगा। भागवत ने कहा कि स्थिति और रास्ते अलग हो सकते हैं, लेकिन मंजिल एक ही है।
उन्होंने कहा कि सुभाष बाबू पहले कांग्रेस से जुड़े थे और उन्होंने सत्याग्रह तथा आंदोलन के मार्ग का अनुसरण किया, लेकिन जब उन्हें एहसास हुआ कि यह काफी नहीं है और स्वतंत्रता के लिए लड़ने की जरूरत है तो उन्होंने इसके लिए काम किया। तो हमारे रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन लक्ष्य एक हैं।
नेताजी ने कहा था भारत को दुनिया के लिए काम करना चाहिए
संघ प्रमुख ने कहा कि अनुसरण करने के लिए सुभाष बाबू के आदर्श हमारे सामने मौजूद हैं। उनके जो लक्ष्य थे, वही हमारे भी लक्ष्य हैं, उन्होंने कहा कि नेताजी ने कहा था कि भारत को दुनिया के लिए काम करना चाहिए और हमें यही लक्ष्य हासिल करने के लिए काम करना है।
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