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स्टॉक मार्केट फ्रॉड मामले में पूर्व SEBI चीफ माधबी पुरी बुच की बढ़ीं मुश्किलें, कोर्ट ने दिए ये आदेश

Former SEBI Chief Madhabi Puri: स्टॉक मार्केट फ्रॉड केस में कोर्ट ने आदेश जारी किए हैं। सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और 5 पूर्व अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच होगी। विशेष कोर्ट ने कहा कि वह जांच के दौरान निगरानी भी करेगा। मामला क्या है, विस्तार से इसके बारे में जान लेते हैं?

Author Edited By : Parmod chaudhary Updated: Mar 2, 2025 18:07
Madhabi Puri

Madhabi Puri: स्टॉक मार्केट फ्रॉड केस में सेबी की पूर्व चीफ माधबी पुरी बुच की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं। माधबी के खिलाफ शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामक के उल्लंघन करने के आरोप लगे थे। मुंबई की एक विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) कोर्ट ने पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी मामले में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने के आदेश जारी किए है। ठाणे स्थित एक पत्रकार सपन श्रीवास्तव ने उनके खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पेशल जस्टिस एसई बांगर की कोर्ट ने अब आदेश जारी किए हैं।

कोर्ट ने एसीबी को 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। कोर्ट ने रिकॉर्ड देखने के बाद कहा कि आरोपों से संज्ञेय अपराध का पता लगता है, इसकी जांच जरूरी है। प्राथमिक तौर पर चूक और मिलीभगत के पर्याप्त सबूत दिख रहे हैं। मामले की निष्पक्ष जांच किए जाने की जरूरत है। कानून प्रवर्तन और सेबी की निष्क्रियता के कारण मामले की जांच धारा-156(3) सीआरपीसी के तहत किए जाने की जरूरत है।

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शिकायत में जिन लोगों के नाम शामिल हैं, उनमें सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच, पूर्णकालिक मेंबर अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय शामिल हैं। वहीं, BSE के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और CEO सुंदररामन राममूर्ति को भी आरोपी बनाया गया है। बता दें कि सुनवाई के दौरान उक्त कोई भी आरोपी पेश नहीं हुआ, न ही इनका कोई प्रतिनिधि कोर्ट में दिखा।

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यह था मामला

शिकायत में सेबी अधिकारियों पर हेरफेर और शर्तें पूरी न करने वाली कंपनी को लिस्टिंग की अनुमति देकर कॉरपोरेट धोखाधड़ी के आरोप लगाए गए हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार सेबी ने नियमों का पालन नहीं किया। लिस्टिंग के बाद वित्तीय धोखाधड़ी और सार्वजनिक फंड की हेराफेरी हुई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) भी आरोपों में शामिल है। श्रीवास्तव ने दावा किया कि उन्होंने 13 दिसंबर 1994 को कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड कंपनी के शेयरों में निवेश किया था।

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यह कंपनी बीएसई इंडिया में सूचीबद्ध थी, उनको काफी नुकसान उठाना पड़ा था। उन्होंने आरोप लगाया कि फर्म ने जानबूझकर शेयर धारकों को नुकसान पहुंचाया। सेबी और बीएसई ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने भी एक्शन नहीं लिया। इसके बाद ही उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए धारा 156 (3) के तहत जांच जरूरी है। जांच की निगरानी भी स्पेशल कोर्ट करेगा। सेबी ने आरोप लगाया कि अधिकारी प्रासंगिक समय पर अपने संबंधित पदों पर नहीं थे।

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Parmod chaudhary

First published on: Mar 02, 2025 05:41 PM

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