RBI MPC Meeting 2025: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। पिछले रेपो रेट यानी 5.5% को यथावत रखा गया है। बुधवार को RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) का फैसला आ गया है। कमेटी की 3 दिनों तक बैठक चली थी। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि रेपो रेट को बरकरार रखने पर सभी सदस्य सहमत हुए हैं। कहा कि सभी 6 सदस्यों ने तरलता समायोजन सुविधा के तहत रेपो दर को 5.5 प्रतिशत बनाए रखने के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया है। यह कदम जून में हुई पिछली नीतिगत बैठक में एमपीसी द्वारा रेपो दर को 50 आधार अंकों से घटाकर 5.5 प्रतिशत करने के बाद उठाया गया है। इससे पहले दरों में कटौती का कारण मुद्रास्फीति में कमी थी।
क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट एक ब्याज दर है। RBI सभी बैंकों को इसी दर पर लोन देते हैं। रेपो रेट घटने से ग्राहकों के लोन की EMI कम होने की भी संभावना रहती है। बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है। इससे बैंक ग्राहकों को भी सहूलियत देते हैं।
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दावा: अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा
आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि आर्थिक परिदृश्य सकारात्मक दिख रहा है। कहा कि मानसून का मौसम अच्छा चल रहा है और आगामी त्यौहारी सीजन आमतौर पर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाता है। सरकार और आरबीआई की सहयोगी नीतियों के साथ, यह स्थिति निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी है।
6 सालों में सबसे नीचे आई मंहगाई
भारत में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट जारी है। दावा है कि अब यह 6 सालों से भी अधिक समय में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार, जून के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित साल-दर-साल मुद्रास्फीति दर 2.10 प्रतिशत (अनंतिम) रही, जो मई 2025 की तुलना में 72 आधार अंकों की गिरावट है। यह जनवरी 2019 के बाद से सबसे कम सीपीआई मुद्रास्फीति दर है।
6.5% GDP वृद्धि का अनुमान
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की वास्तविक GDP वृद्धि का अनुमान 6.5% पर अपरिवर्तित रखा है। यह फैसला RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद लिया गया। RBI ने पूरे साल के लिए तिमाही-वार अनुमान भी जारी किए हैं।
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