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एक धाम, जहां 12 साल रहे भगवान राम, भरतकूप में स्नान करके दूर होते दुख-दर्द

Lord Rama Chitrakoot Dham: अयोध्या में राम मंदिर बन गया है। देशभर में भगवान राम के कई धाम हैं, लेकिन क्या आप भगवान राम के उस पवित्र धाम के बारे में जानते हैं, जहां वे 12 साल रहे थे।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Jan 11, 2024 11:15
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Lord Rama Chitrakoot Dham
भगवान राम का पवित्र धाम चित्रकूट रामभक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक है।

Lord Rama Chitrakoot Dhaam History: 22 जनवरी को राम मंदिर अयोध्या में रामलला विराजमान होंगे। भगवान राम की नगरी अयोध्या दुनियाभर में रामभक्तों की अटूट आस्था का प्रतीक है, लेकिन अयोध्या के साथ-साथ एक और धाम है, जहां भगवान राम आज भी जीवंत रूप में महसूस होते हैं, क्योंकि वहां उनके पद चिह्न हैं। वहीं इस धाम में एक कुंआ है, जिसे लेकर मान्यता प्रचलित है कि इसके पानी में स्नान करने भक्तों के दुख-दर्द दूर होते हैं। इस धाम के दर्शन करने से रामभक्तों की हर मुराद पूरी होती है। आइए इस धाम के बारे में विस्तार से जानते है…

 

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चित्रकूट धाम, जहां 12 साल राम ने वास किया

बात हो रही है चित्रकूट धाम की, जो उत्तर प्रदेश का जनपद है। मंदाकिनी नदी के किनारे पर बसा प्राचीन तीर्थ स्थल है। यह धाम उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों में 38.2 वर्ग किलोमीटर एरिया में फैला है। विंध्याचल पर्वत श्रेणियों और जंगलों से घिरा चित्रकूट धाम शांत, प्राकृतिक रूप से खूबसूरत और ईश्वर की अनुपम देन है। अमावस्या के दिन इस धाम में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। मान्यता है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास के 12 साल इस जगह पर बिताए थे। ऋषि अत्रि और सती अनसुइया ने यहीं तप किया था। चित्रकूट में ही सती अनसुइया के यहां ब्रह्मा, विष्णु, महेश का जन्म हुआ था। चित्रकूट से सटा राजापुर तुलसीदासजी का जन्मस्थान है। कहा जाता है कि यहां रामचरितमानस की मूल प्रति भी रखी है।

 

चित्रकूट, जहां पग धरे श्रीराम और माता सीता ने

मान्यता है कि चित्रकूट धाम में भगवान राम के रुकने का जब संत-महात्माओं को पता लगा तो उन्होंने उनसे प्रार्थना की कि वे अपने पद्चिह्न यहां स्थापित करें, ताकि उनके जाने के बाद भी लोगों को यहां भगवान राम के दर्शन होते रहें। चित्रकूट में हर महीने की अमावस्या दिवाली की तरह मनाई जाती है। रामचरित मानस के अनुसार, त्रेता युग में वनवास के समय 11 साल 6 महीने भगवान राम यहां रुके थे। लंका को जीत कर माता सीता के साथ अयोध्या लौटते समय भी भगवान राम यहां रुके थे, तब उनका स्वागत करते हुए खुशियां मनाई गई थीं। उस दिन अमावस्या थी, इसलिए अमावस्या के दिन चित्रकूट में खुशियां मनाई जाती हैं।

चित्रकूट में रामघाट, गंगा स्नान और दीपदान

मान्यता है कि हर महीने की अमावस्या को यहां लाखों श्रद्धालु मंदाकिनी गंगा में स्नान करने और दीपदान करने आते हैं। इसी मंदाकिनी नदी के किनारे पर भगवान राम, सीता और लक्षमण पर्ण कुटी (पत्तों की झोपड़ी) बनाकर रहते थे। राम घाट में मंदाकिनी के किराने भगवान राम रोज स्नान किया करते थे। राम घाट में ही राम और भरत का मिलाप हुआ था। राम घाट में ही रामचरितमानस के रचायिता गोस्वामी तुलसी दास ने भगवान राम को साक्षात दर्शन दिए थे, तब बजरंगबली हनुमान ने तोता रूप में कहा था की चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीर, तुलसीदास चंदन घिसें तिलक देत रघुवीर…अमावस्या को रामघाट में स्नान करके लोग दीप जलाकर मुरादें मांगते हैं।

HISTORY

Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Jan 11, 2024 11:15 AM

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