Why Afghanistan Closed Embassy in India: तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान ने भारत में अपने दूतावास को बंद करने का फैसला किया है। भारत में अफगानी राजदूत ने इसके लिए बाकायदा बयान जारी किया है। अफगानिस्तान के इस कदम के कई मायने सामने आ रहे हैं, लेकिन राजदूत की ओर से जारी बयान में संसाधनों की कमी, भारत से पर्याप्त मदद न मिलना बताया गया है। कुछ दिन पहले की घटनाक्रम पर गौर करें तो चीन ने तालिबान वाले अफगानिस्तान में अपना पहला राजदूत नियुक्त किया है।
बयान के साथ की घोषणा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अफगानिस्तानी दूतावास ने घोषणा की है कि उसने अफगानिस्तान और भारत के बीच लंबे समय से चले आ रहे संबंधों और दोस्ती को देखते हुए सावधानीपूर्वक विचार किया और भारत में अफने दूतावास को बंद करने का कठिन निर्णय लिया है। दूतावास ने एक बयान में कहा कि यह बेहद दुख, अफसोस और निराशा के साथ है कि नई दिल्ली में अफगानिस्तान का दूतावास अपना परिचालन बंद करने के इस फैसले की घोषणा करता है।
बताया जाता है कि नई दिल्ली में अफगानिस्तानी दूतावास का नेतृत्व राजदूत फरीद मामुंडजे कर रहे थे। उन्हें अफगानिस्तान की अशरफ गनी सरकार की ओर से नियुक्त किया गया था। अगस्त 2021 में तालिबानी लड़ाकों द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बावजूद वह भारत में अपनी भूमिका में बने रहे।
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दूतावास में कर्मचारियों की कमी!
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि दूतावास ने कुछ कारणों को सूचिबद्ध किया है। दूतावास की ओर से कहा गया है कि हम भारत में राजनयिक समर्थन की कमी, काबुल में वैध कामकाजी सरकार की अनुपस्थिति के कारण अफगानिस्तान और उसके नागरिकों के हितों की सेवा के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने में कमियों को स्वीकार करते हैं। दूतावास ने दावा किया है कि अप्रत्याशित परिस्थितियों ने दूतावास के कर्मियों और संसाधनों को काफी कम कर दिया है, जिससे संचालन जारी रखना कठिन हो गया है।
बयान में कहा गया है कि राजनयिकों के लिए वीजा नवीनीकरण से लेकर सहयोग के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में समय पर और पर्याप्त समर्थन की कमी के कारण हमारी टीम में निराशा है। नियमित कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने की हमारी क्षमता भी बाधित हो गई है। दूतावास ने यह भी समझा है कि इस निर्णय की गंभीरता के कारण, कुछ लोगों को काबुल में तालिबान शासन से समर्थन और निर्देश प्राप्त हो सकते हैं जो दूतावास के वर्तमान दृष्टिकोण से भिन्न हो सकते हैं।
अफगान में सरकारी बदली, राजदूत नहीं
भारत ने अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। इसमें अफगानिस्तान में एक समावेशी सरकार के गठन और किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगान धरती के इस्तेमाल को रोकने की मांग की गई है। दिल्ली में अफगान दूतावास को अप्रैल-मई 2023 में सत्ता संघर्ष का अनुभव हुआ, जब तालिबान ने कथित तौर पर मौजूदा राजदूत फरीद मामुंडजे के स्थान पर मिशन का एक नया प्रमुख नियुक्त किया। 2020 से दिल्ली में अफगान दूतावास में ट्रेड काउंसिलर कादिर शाह ने अप्रैल के अंत में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर दावा किया कि तालिबान ने उन्हें प्रभारी डी’एफेयर के रूप में नियुक्त किया है।
चीन ने अफगान में तैनात किया था राजदूत
बता दें कि सितंबर के मध्य में चीन ने तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान में अपना राजदूत तैनात किया था। राजदूत की तैनाती के बाद चीन पहला ऐसा देश बना था जिसने तालिबान के कब्जे के बाद अफगान में अपना पहला राजदूत नियुक्त किया था। हालांकि चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि अफगानिस्तान के राजदूत का ये सामान्य रोटेशन है। इस नियुक्ति का मकसद चीन और अफगानिस्तान के बीच सहयोग का आगे बढ़ाना है।