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Opinion: अब गोली से नहीं होगी मौत!

अमित शर्मा। देश में लूट ओर हत्याओं का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। आए दिन लोगों की गोलियों से भूनकर हत्या की जा रही है। जिससे अपराध और अपराधियों का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है। देश में क्राइम को कंट्रोल करने के लिए सरकार एक से बढ़कर एक कदम उठा रही है। जिसके चलते […]

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Apr 12, 2023 15:13
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Opinion: Now there will be no death by bullet!

अमित शर्मा। देश में लूट ओर हत्याओं का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। आए दिन लोगों की गोलियों से भूनकर हत्या की जा रही है। जिससे अपराध और अपराधियों का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है। देश में क्राइम को कंट्रोल करने के लिए सरकार एक से बढ़कर एक कदम उठा रही है। जिसके चलते कानून व्यवस्था को मजबूत करने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।

सरकार का प्रयास कुछ हद तक सफल भी हो रहा है। जिसके चलते देश में क्राइम पर कंट्रोल हो रहा है, लेकिन देश में लूट, हत्या तथा डकैती जैसी घटनाएं आज भी हो रही हैं। आज भी लूट और हत्या जैसी घटनाओं में अवैध शस्त्र का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिससे बदमाश असलाह के बल पर राहगीरों, बैंक और घरों आदि में घुसकर लोगों को आतंकित करते हुए गन प्वाइंट पर लेकर लूट व डकैती जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। इतना ही नहीं बदमाश घटना का विरोध करने पर लोगों को गोली मारकर हत्या भी कर देते हैं।

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आज के इस युग में अपनी प्रतिष्ठा को दिखाने के लिए शस्त्र का लाइसेंस लेना भी प्रचलन में आ गया है, जिसे लोग अपनी सुरक्षा में कम और हर्ष फायरिंग में ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। हर्ष फायरिंग की घटनाओं में बहुत से लोगों की जान जा चुकी है। शादी समारोह में कई दुल्हन सुहागन बनने से पहले ही विधवा हो चुकी हैं। न जाने कितनी मां की गोद सूनी हो चुकी है।

देश में ऐसा कोई राज्य या कोई जनपद नहीं है, जिसमें हर्ष फायरिंग से मौत के मामले नहीं हैं। देश में भले ही सरकार शस्त्र लाइसेंस देना जारी रखे, लेकिन किसी भी जनमानस को असली गोलियां (पीतल और तांबे की) न दी जाए, क्योंकि गोली के डर से ही लोग बदमाशों का विरोध नहीं कर पाते हैं। गोलियों से भूनकर उमेश पाल की हत्या एक बड़ा उदाहरण है। असली गोलियां केवल देश सेवा में लगे सैनिकों और पुलिस को ही उपलब्ध कराई जाएं। बाकी सभी जनता के लिए जिसको भी शस्त्र लाइसेंस दिया जाए, उनको मात्र रबर की गोलियां ही उपलब्ध कराई जाएं।

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जब देश में रबर की गोलियां उपलब्ध होंगी, तो लोग लूट, डकैती और हत्या करने के इरादे से आए बदमाशों का डटकर मुकाबला कर सकेंगे और ऐसे में घटना का विरोध करने पर हत्या जैसी घटनाओं पर भी अंकुश लगेगा। पुलिस और सैनिकों के अलावा जिस किसी के पास भी असली गोली (पीतल या तांबे की गोली) मिले, तो उसके ऊपर अधिनियम 1959 के तहत (आर्म्स एक्ट) की कार्यवाही किया जाना संभव है। जब देश में लूट, हत्या ओर डकैती जैसी घटनाओं पर अंकुश लगेगा, तो देश मे बढ़ते क्राइम और आतंकवाद पर बहुत हद तक स्वतः ही नियंत्रण हो जाएगा।

हत्या और लूट की घटनाओं को अंजाम देने वाले अतीक और मुख्तार अंसारी जैसे डॉन भी देश में पैदा नही होंगे। आज देश में असली गोलियां आसानी से मिल रही हैं, जिसकी वजह से असलाह फैक्ट्रियों में अवैध असलाह (तमंचे आदि) बनाने का सिलसिला भी जोरों पर चल रहा है। जब असली गोलियां मिलनी ही बंद हो जाएंगी, तो अवैध असलाह फैक्ट्रियों पर भी स्वतः ही अंकुश लगना शुरू हो जाएगा। देश में रबर की गोलियां उपलब्ध होंगी, तो ना ही हर्ष फायरिंग की घटना होगी, ना ही सड़कों पर स्टंट करते हुए फायरिंग की घटना सामने आएगी, ना ही किसी बहन-बेटी का सुहाग उजड़ेगा ओर ना ही लूट, डकैती ओर हत्या आदि जैसी घटनाएं होंगी।

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First published on: Apr 11, 2023 12:50 PM

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