Odisha High Court: उड़ीसा हाई कोर्ट में एक महिला ने रेप की याचिका दायर की थी, जिसपर कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने आरोप को खारिज कर दिया। दरअसल, महिला करीब 9 साल से एक सब-इंस्पेक्टर के साथ रिलेशनशिप में थी, जिसके बाद दोनों की शादी नहीं हो पाई। इसके बाद ही ही महिला ने रेप केस किया। हालांकि, कोर्ट ने इस केस में बड़ी टिप्पणी की कि रिश्ता शादी तक नहीं पहुंच पाता है, तो यह कोई अपराध नहीं है। जानिए कोर्ट ने और क्या कुछ कहा।
क्या है मामला?
महिला ने सबसे पहले 2021 में बोलनगीर जिले के सब डिविजनल न्यायिक मजिस्ट्रेट को शिकायत दी थी। जिसमें सब-इंस्पेक्टर पर शादी का झूठा वादा करके रेप करने का आरोप लगाया गया। उसने यह भी कहा कि उसे गर्भावस्था को रोकने के लिए उसे गर्भनिरोधक भी दिए थे।
असफल रिश्ते पर अपराध नहीं थोपा जाता
कोर्ट ने इस रेप केस में कई अहम टिप्पणियां की। जिसमें कोर्ट ने कहा कि ‘कानून हर टूटे हुए वादे को सुरक्षा नहीं देता है और न ही यह हर असफल रिश्ते पर अपराध थोपता है।’ कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता और अभियोक्ता ने 2012 में जब रिश्ता बनाया था, जब दोनों ही सक्षम और वयस्क थे। वह इस दौरान अपनी पसंद, अपनी इच्छाओं के बारे में सोचने के लिए सक्षम थे।
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रिश्ता कामयाब न होना अपराध नहीं- HC
जस्टिस संजीव पाणिग्रही ने अपने 14 फरवरी के फैसले में कहा कि ‘यह रिश्ता शादी में नहीं बदल पाया, तो विफलता को कोई अपराध नहीं माना जाएगा और न ही कानून निराशा को धोखे में बदलता है।’ कोर्ट ने कहा कि हमारी कानूनी प्रणाली और इसे आकार देने वाली सामाजिक चेतना (Social Consciousness) दोनों में शारीरिक संबंध और शादी की संरचना को अलग करने की बहुत जरूरत है।