PM Modi Speech: लाल किला के प्राचीर से पीएम मोदी ने दिवाली के लिए बड़ा ऐलान किया है। पीएम ने कहा कि इस दिवाली मैं डबल दिवाली करने वाला हूं। पीएम मोदी ने इस दिवाली बड़े सुधार की बात कही।
पीएम ने कहा कि पिछले 8 सालों में हमने जीएसटी से टैक्स व्यवस्था को सरल किया है। व्यवस्था का रिव्यू किया और राज्यों से भी बात की। ऐलान करते हुए पीएम ने कहा कि हम नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी रिफॉर्म्स लेकर आ रहे हैं। पीएम ने इसे बड़ी सुविधा बताया है। उद्योगों को लाभ मिलने की बात कही। कहा कि इससे जीएसटी दरें काफी हद तक कम हो जाएंगी। रोजमर्रा की चीजें सस्ती हो जाएंगी, इससे इकोनॉमी को बड़ा सहयोग मिलेगा।
दैनिक जरुरतों पर पड़ेगा असर
लाल किला से पीएम ने कहा कि जीएसटी रिफॉर्म से आवश्यक वस्तुओं और दैनिक जरूरतों पर लगने वाले टैक्स की दरें एक सरल फ्रेमवर्क के तहत कम की जाएंगी। इससे काफी राहत और सुविधा मिलेगी। कहा कि हमारे एमएसएमई और लघु उद्योगों को भी इन बदलावों से काफी फायदा होगा। पीएम मोदी ने कहा कि ये सुधार आवश्यक वस्तुओं और दैनिक जरूरतों पर सीधा असर डालेंगे, इस रिफॉर्म का उद्देश्य आम नागरिकों पर कर का बोझ कम करना है।
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भारत में ऐसे तय होती हैं जीएसटी दरें
भारत में जीएसटी दरें जीएसटी परिषद द्वारा निर्धारित की जाती हैं। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। वर्तमान जीएसटी संरचना में चार मुख्य दर स्लैब हैं। 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। ये दरें देश भर में अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती हैं। मुख्य स्लैब के अलावा 3 विशेष दरें हैं।
कैसे लगता है टैक्स?
सोना, चांदी, हीरा और आभूषण पर 3 प्रतिशत, कटे और पॉलिश किए हुए हीरे पर 1.5 प्रतिशत और कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत जीएसटी लगती है। वहीं तंबाकू उत्पादों, कार्बोनेटेड जल और मोटर वाहनों जैसे चुनिंदा सामानों पर अलग-अलग दरों पर जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर भी लगाया जाता है। इस उपकर का उपयोग राज्यों को जीएसटी प्रणाली में परिवर्तन के परिणामस्वरूप होने वाले किसी भी राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है।
इस साल तक जीएसटी कलेक्शन
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) 1 जुलाई 2017 में लागू हुआ था। गत 1 जुलाई को इसके 8 साल पूरे हो गए हैं। 2024-25 में ग्रोस जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। जो साल-दर-साल 9.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। यह वृद्धि इकोनॉमी के बढ़ते औपचारिकीकरण और बेहतर टैक्स अनुपालन को दर्शाती है।
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