जम्मू: जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को प्रदेश के हालात पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा-लगता है कि यहां संविधान को सस्पेंड कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल बार-बार यहां सबकुछ ठीक होने का राग अलापते रहते हैं, लेकिन बड़ा सवाल है कि अगर यहां सब सामान्य है तो फिर परिसीमन हो जाने और वोटर लिस्ट बन जाने के बावजूद चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे?
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नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ और सांसद फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में जम्मू में बुलाई गई थी विपक्षी दलों की बैठक
बता दें कि मंगलवार को जम्मू में नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ और सांसद फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में विपक्षी दलों की एक बैठक बुलाई गई थी। गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) और अल्ताफ बुखारी की पार्टी जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (JKAP) का कोई नेता इस बैठक में नहीं पहुंचा। बैठक के बाद मीडिया से रू-ब-रू नेकां चीफ अब्दुल्ला ने दोनों नेताओं की पार्टी सरकार की पार्टी हैं, तभी तो वो विपक्षी दलों की बैठक में आए नहीं।
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इस दौरान फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मौजूदा वक्त में जम्मू-कश्मीर के हालात बेहद चिंताजनक हैं। लगता है यहां संविधान को सस्पेंड कर दिया गया है। परिसीमन हो चुका है, वोटर लिस्ट भी बन चुकी है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और यहां के उपराज्यपाल बार-बार सबकुछ ठीक होने की बात कहते रहते हैं, लेकिन फिर भी न जाने क्यों चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हैं।
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#WATCH | Jammu: National Conference Chief Farooq Abdullah says, “We have jointly decided that on October 10 a peaceful protest will be held against the present condition of Jammu & Kashmir, how the Constitution has been suspended, and how our rights have been attacked…” pic.twitter.com/01n6nafDaB
— ANI (@ANI) October 3, 2023
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यहां यह बात भी उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद ने 2022 में राष्ट्रीय पार्टी कॉन्ग्रेस का हाथ छोड़कर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (DPAP) के रूप में अपना झंडा बुलंद कर लिया था। अभी कुछ दिन पहले ही पार्टी की स्थापना का एक साल पूरे होने पर श्रीनगर में रैली की थी। हालांकि आजाद को जब उपराज्यपाल बनाए जाने की बात उठी तो इसमें दिलचस्पी दिखाने से इनकार कर दिया था। लोगों को अफवाहों पर ध्यान नहीं देने की अपील करते हुए उन्होंने कहा था, ‘मैं यहां रोजगार करने नहीं, बल्कि लोगों की सेवा करने आया हूं’।
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दूसरी तरफ 2020 में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) से जुदा हो जाने के बाद अल्ताफ बुखारी ने जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी (JKAP) बना ली थी। जिस वक्त केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त किया, उस वक्त यहां किसी तरह की कोई हिंसा नहीं होने को लेकर वह मोदी सरकार की तारीफ भी कर चुके हैं।
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