केंद्र सरकार ‘मनरेगा’ का नाम बदलकर अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी’ रहने जा रही है. शुक्रवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में जनगणना के लिए बजट आवंटन से लेकर कई अहम फैसले लिए गए, जिसमें ‘मनरेगा’ का नाम बदलने का भी प्रस्ताव शामिल था. यूपीए सरकार में ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को रोजगार मुहैया कराने के अभियान से शुरू किया गया मनरेगा अब नए नाम से जाना जाएगा. हाल ही में सरकार ने देश के राज भवनों का नाम बदलकर लोक भवन कर दिया था. वहीं, PMO ने नए परिसर को भी उसका नया नाम ‘सेवा तीर्थ’ मिला.
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कब हुई थी मनरेगा की शुरुआत?
मनरेगा योजना की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2 फरवरी, 2006 को 200 जिलों में शुरू की थी. साल 2008 के अंत तक इस योजना को देश के सभी 593 जिलों में लागू कर दिया गया. मनरेगा का वास्तविक नाम ‘महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (MGNREGA)’ था जिसे अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी’ के नाम से जाना जाएगा. इस योजना से ग्रामीण गरीबों को एक साल में 100 दिन रोजगार की गारंटी मिलती है, जिसे वर्तमान सरकार बढ़ाकर 125 दिन करने जा रही है.
‘नए नाम से मिलेगी नई पहचान’
मनरेगा की शुरुआत से अब तक इस योजना में करीब 15 करोड़ 40 लाख लोग एक्टिव रूप से काम कर रहे हैं. शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार गारंटी बिल 2025’ को पेश किया गया, जिसे मंजूरी भी मिल गई. सरकार का दावा है कि नए नाम से योजना को नई पहचान भी मिलेगी. इसके अलावा कैबिनेट में शिक्षा सुधारों को लेकर भी ‘विकसित भारत शिक्षा अधिष्टान बिल 2025’ पेश किया गया, जिसको मंजूरी मिलने की संभावना जताई जा रही है. इस प्रस्ताव से शिक्षा व्यवस्था को विकसित करने में मदद मिलेगी.
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