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मेडिकल साइंस की अनोखी रिसर्च, एशिया में पहली बार डॉक्टरों ने मौत के बाद एक्टिव किया ब्लड सर्कुलेशन

Medical Science Miracle: मेडिकल साइंस में एक असंभव मानी जा रही रिसर्च हुई है, जो एशिया में पहली बार हुई है और इसमें सफलता भी मिली है. यह रिसर्च दिल्ली के डॉक्टरों ने की है, जिसके तहत मर चुके शख्स के शरीर में फिर से ब्लड सर्कुलेशन एक्टिवेट करके अंगों को जिंदा रखा गया.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Nov 9, 2025 13:38
blood circulation | medical research | delhi
मृतका की आखिरी इच्छा अंगदान करने की थी, जिसे पूरा करने के लिए रिसर्च की गई थी.

Medical Science Unique Research: एशिया में पहली बार मेडिकल साइंस की दुनिया में एक ऐसी रिसर्च हुई है, जो अब तक असंभव मानी जा रही थी. यह रिसर्च हुई भी भारत में है, जिसके रिजल्ट भी पॉजिटिव रहे. दरअसल, दिल्ली के डॉक्टरों ने मर चुकी महिला के शरीर में फिर से ब्लड सर्कुलेशन एक्टिव करने में सफलता हासिल की है. महिला के अंगदान करने के लिए यह प्रयास किया गया था, जो सफल रहा और इस प्रक्रिया को एशिया में पहली बार की गई सफल चिकित्सीय प्रक्रिया माना जा रहा है, जिस पर आगे और रिसर्च करने के रास्ते भी खुल गए हैं.

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मोटर न्यूरॉन बीमारी से ग्रस्त थी मरीज

दिल्ली में द्वारका स्थित HCMCT मणिपाल अस्पताल में 55 वर्षीय गीता चावला की 6 नवंबर की रात को मौत हो गई थी. वह मोटर न्यूरॉन नामक बीमारी से ग्रस्त थी, जिसके कारण पैरालाइज होने से वह बिस्तर पर था. अचानक उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई तो अस्पताल लाया गया, जहां उन्हें वेंटिलेटर पर डाल दिया गया. 6 नवंबर को उन्होंने आखिरी सांस ली. गीता की आखिरी इच्छा अंगदान करने की थी, लेकिन गीता का दिल दम टूटते ही बंद हो गया था, जबकि अंगदान तब किया जा सकता है, जब दिल एक्टिव हो, लेकिन ब्रेन पूरी तरह से डेड हो चुका हो.

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नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया

क्योंकि गीता की अंगदान करने की आखिरी ख्वाहिश को पूरा करना था, इसलिए परिजनों ने डॉक्टरों से कुछ तरीका निकालने को कहा. डॉक्टरों ने गीता पर नई टेक्नोलॉजी नॉर्मोथर्मिक रीजनल परफ्यूजन (NRP) को इस्तेमाल करने का फैसला किया. एक विशेष मशीन एक्स्ट्रा कॉरपोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनटर (ECMO) के जरिए बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन एक्टिव करके अंगों को जिंदा रखा गया और गीता चावला की अंगदान की ख्वाहिश पूरी की गई. मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के चेयरमैन डॉ. श्रीकांत श्रीनिवासन ने इसके बारे में बताया.

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तीन मरीजों को दान किए गए हैं अंग

डॉ. श्रीनिवासन ने बताया कि एशिया में पहली बार किसी मृतक के शरीर में खून का प्रवाह फिर से शुरू करके अंगों को सुरक्षित रखा गया. नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) ने गीता के अंगों को दान किया. गीता का लिवर दिल्ली के ILBS अस्पताल में 48 साल के मरीज को डोनेट किया गया है. दोनों किडनियां मैक्स अस्पताल साकेत में 63 और 58 साल के 2 मरीजों को दी गई हैं. कॉर्निया और स्किन भी डोनेट किया गया है. मणिपाल इंस्टिट्यूट ऑफ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी के चेयरमैन डॉ. (कर्नल) अवनीश सेठ कहते हैं कि साल 2024 में 1128 लोगों ने अंगदान किया था.

First published on: Nov 09, 2025 12:19 PM

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