Karnataka-Maharashtra Row: कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच महाराष्ट्र एकीकरण समिति और राकांपा के सदस्य सैंकड़ों की संख्या में बॉर्डर पर जुटे। बता दें कि इलाके में धारा 144 लागू है। पुलिस का कहना है कि महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद के मुद्दे को लेकर अधिकारी अलर्ट पर हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंतर्राज्यीय सीमा मुद्दे को लेकर कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा के पास कोग्नोली टोल प्लाजा के पास सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया। बताया जा रहा है कि राकांपा के हसन मुश्रीफ और शिवसेना के कोल्हापुर जिला अध्यक्ष विजय देवाने को आज कर्नाटक के बेलगावी में प्रवेश करने की कोशिश करते हुए हिरासत में लिया गया।
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के 300 से अधिक सदस्यों को सीमा पर रोक दिया गया और कर्नाटक सरकार द्वारा वापस भेज दिया गया जिसके बाद कुछ नेताओं को महाराष्ट्र पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
Belagavi, Karnataka | Members of Maharashtra Ekikaran Samiti and NCP stage protest near Kognoli Toll Plaza near Karnataka-Maharashtra border over inter-state border issue pic.twitter.com/XaPJwEbBKv
— ANI (@ANI) December 19, 2022
मध्यवर्ती महाराष्ट्र एकीकरण समिति (MMES) के कार्यकर्ता पांच दशकों से अधिक समय से इस मुद्दे को उठा रहे हैं। समिति के कार्यकर्ताओं ने कर्नाटक विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत को विभाजित करने का आरोप लगाते हुए केंद्र पर विवाद का आरोप लगाया है।
नाना पटोले ने कहा कि केंद्र सरकार के कारण सीमा का मुद्दा पैदा हुआ है। पीएम मोदी महाराष्ट्र को विभाजित करना चाहते हैं। दोनों मुख्यमंत्रियों और गृह मंत्री अमित शाह के बीच बैठक के बावजूद नेताओं को वहां जाने की अनुमति क्यों नहीं है? इससे पता चलता है कि केंद्र सरकार इसके पीछे है।
14 दिसंबर को शाह की मौजूदगी में हुई थी बातचीत
इस बीच, 14 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा मुद्दे को लेकर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ बैठक की अध्यक्षता की।
महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर बैठक की अध्यक्षता करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दोनों राज्य एक दूसरे के खिलाफ तब तक कोई दावा नहीं करेंगे जब तक कि सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला नहीं दे देता। शाह ने कहा, ”सीमा मुद्दे पर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच आज सकारात्मक माहौल में बैठक हुई।”
उन्होंने कहा, ”मैंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री, कर्नाटक के मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं को फोन किया था। शाह ने कहा कि कोई भी पक्ष दूसरे के खिलाफ तब तक कोई “दावा” नहीं करेगा जब तक कि सुप्रीम कोर्ट मामले पर फैसला नहीं दे देता।
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Belagavi, Karnataka | Members of Maharashtra Ekikaran Samiti and NCP stage protest near Kognoli Toll Plaza near Karnataka-Maharashtra border over inter-state border issue; Section 144 is in place
Officers are on alert, in view of Maharashtra-Karnataka border issue, say police. pic.twitter.com/xnqYCWwDLV
— ANI (@ANI) December 19, 2022
दोनों पक्षों के तीन मंत्री करेंगे चर्चा
अमित शाह ने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला नहीं देता, तब तक दोनों राज्यों में से कोई भी एक-दूसरे पर कोई दावा नहीं करेगा। दोनों पक्षों के तीन मंत्री मिलेंगे और इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। मंत्री दोनों राज्यों के बीच लंबित अन्य मुद्दों को भी हल करेंगे। उन्होंने दोनों राज्यों के विपक्षी दलों से इस मुद्दे का “राजनीतिकरण” नहीं करने का भी आग्रह किया।
अमित शाह ने कहा कि मैं महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों के विपक्षी दलों से इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करने का आग्रह करता हूं। हमें इस मुद्दे को हल करने के लिए गठित समिति की चर्चा के परिणाम और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए। मुझे विश्वास है कि राकांपा, कांग्रेस, और उद्धव ठाकरे समूह सहयोग करेगा।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने कर्नाटक के साथ अपनी सीमा के पुन: समायोजन की मांग की। इसके बाद दोनों राज्यों की ओर से चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया।
महाराष्ट्र सरकार ने 260 मुख्य रूप से कन्नड़ भाषी 260 गांवों को स्थानांतरित करने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन इसे कर्नाटक द्वारा ठुकरा दिया गया था। अब, कर्नाटक और महाराष्ट्र दोनों सरकारों ने मामले में तेजी लाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, और मामला अभी भी लंबित है।
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