अब भारत की राजनीति में बड़ा बदलाव होने के संकेत मिल रहे हैं। पुडुचेरी में एक नई पार्टी का आगाज होने जा रहा है। वैसे तो भारत में कई पार्टियों का उदय होता है और गुमनाम अंत भी हो जाता है। आजादी के बाद से कांग्रेस और बीजेपी अदल-बदल कर केंद्र सरकार में आ रही हैं। इसकी वजह है बड़े बिजनैस मैन का सपोर्ट। सामान्य तौर पर छोटी पार्टियों का अंत फंडिंग की कमी की वजह से हो जाता है। ज्यादातर हाई प्रोफाइल बिजनेसमैन बड़ी पार्टियों को फंड करती हैं।
नई पार्टी के आने से बड़ा बदलाव इसलिए साबित होगी क्योंकि इसे लॉटरी किंग के नाम से मशहूर सैंटियागो मार्टिन लॉन्च करने जा रहे हैं। ये वही मार्टिन हैं जिनका नाम पिछले साल सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले बिजनेसमैन में शामिल हुआ था। सैंटियागो मार्टिन अब अपने बेटे जोस चार्ल्स मार्टिन के लिए एक नई पार्टी लॉन्च करने जा रहे हैं। पार्टी के पास पर्याप्त फंड होने के चलते आने वाले कुछ समय में भारतीय राजनीति को प्रभावित होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। पार्टी फंडिंग के लिए आत्मनिर्भर रहेगी तो किसी भी चुनाव को प्रभावित कर सकती है।
बता दें कि 1 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 के बीच कई कंपनियों ने 12,155 करोड़ से अधिक मूल्य के चुनावी बांड खरीदे थे। इसमें मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, क़्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज, हल्दिया एनर्जी, धारीवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड समेत कंपनियों के नाम सामने आए थे।
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कौन-सी पार्टी को खतरा?
सैंटियागो मार्टिन फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मालिक है। एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्टिन ने अप्रैल 2019 और जनवरी 2024 के बीच 13.68 अरब रुपये कीमत के चुनाव बांड (इलेक्टोरल बॉन्ड) खरीदे थे। जानकारी में सामने आया कि मार्टिन की कंपनी ने सबसे ज्यादा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को 542 करोड़ रुपए का चंदा दिया था। यह कुल बॉन्ड का करीब 39.6 फीसदी था।
इसके बाद मार्टिन ने डीएमके पार्टी को 503 करोड़ रुपये का चंदा दिया। वहीं वीएसआर कांग्रेस पार्टी को 154 करोड़ रुपये और बीजेपी को 100 करोड़ रुपये का चंदा दिया था। अब मार्टिन के खुद की पार्टी बनाने से इन पार्टियों को सीधे तौर पर नुकसान हो सकता है।
कौन हैं सैंटियागो मार्टिन?
जानकारी के अनुसार, मार्टिन का जन्म 1961 में भारत के पूर्वी तट पर स्थित अंडमान द्वीप समूह में हुआ था। कम उम्र में ही उन्होंने म्यांमार में दिहाड़ी मजदूर का काम शुरू किया था। 1980 के दशक में मार्टिन भारत लौट आए। भारत आकर तमिलनाडु में एक चाय की दुकान में काम करने लगे। तमिलनाडु में विशेषकर गरीबों के बीच लॉटरी को लेकर काफी लोकप्रियता है। इसे देखकर मार्टिन को व्यवसाय शुरू करने का आईडिया आया। मार्टिन ने कोयंबटूर में अपनी पहली दुकान खोली। कुछ ही सालों बाद मार्टिन दो प्रतिस्पर्धियों को पीछे छोड़कर तमिलनाडु में लॉटरी टिकटों के सबसे बड़े विक्रेता बन गए। साल 2001 में एक इंटरव्यू में मार्टिन ने बताया कि वे प्रतिदिन 12 मिलियन लॉटरी टिकट बेचते थे। तब तक उनकी कंपनी ने लॉटरी टिकट वितरण के लिए कई राज्य सरकारों के साथ समझौते कर रखे थे।
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