Kidney Racket Allegations on Indraprastha Apollo Hospital: राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल पर हाल ही में किडनी घोटाले का आरोप लगा था। इसे लेकर नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गेनाइजेशन (NOTTO) ने जांच की शुरुआत कर दी है। यह संगठन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत काम करता है।
अपोलो हॉस्पिटल्स का एक हिस्सा इंद्रप्रस्थ मेडिकल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IMCL) ने सोमवार को यह आरोप खारिज किया था। इसने कहा था कि हम सरकारी दिशानिर्देशों के साथ ट्रांस्प्लांट के लिए सभी कानूनी और नैतिक जरूरतों का पालन करते हैं।
आरोपों को लेकर IMCL के एक प्रवक्ता ने कहा था कि किडनी दान करने वाले हर विदेशी व्यक्ति के लिए अपनी सरकार से सर्टिफिकेशन प्रस्तुत करना जरूरी होता है। इससे ट्रांस्प्लांट की प्रक्रिया शुरू करने से पहले किडनी देने वाले और पाने वाले के बीच संबंध की पुष्टि होती है।
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अस्पताल ने खारिज किए हैं आरोप
प्रवक्ता ने बताया कि अस्पताल किडनी ट्रांस्प्लांट के लिए सख्त प्रक्रिया का पालन करता है। इसमें किडनी दान करने वाले व्यक्ति की ओर से फॉर्म 21 जमा करना भी शामिल है जो विदेशी सरकार की ओर से प्रमाणित किया जाता है। उन्होंने कहा कि अस्पताल की ट्रांस्प्लांट ऑथराइजेशन कमेटी हर मामले में दस्तावेजों की समीक्षा करती है, इंटरव्यू आयोजित करती है और संबंधित एंबेसी से दस्तावेज पुन: सत्यापित करती है।
विदेशी अखबार में किया गया दावा
ब्रिटेन के अखबार द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अंगों का व्यापार गैरकानूनी है लेकिन फिर भी यह देश में एक बड़ा कारोबार बन गया है। रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि यहां म्यांमार के गरीब लोगों को पैसे देकर किडनी बेचने का काम हो रहा है।
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रिपोर्ट में इससे जुड़े एक मामले का जिक्र भी किया गया है। इसके अनुसार 58 वर्षीय एक महिला ने सितंबर 2022 में किडनी के लिए 80 लाख म्यांमार क्यात (लगभग 2.17 लाख रुपये) का भुगतान किया था। दावा किया गया है कि इसकी रसीद बताती है कि यह ऑपरेशन दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अस्पताल में हुआ था और किडनी दान करने वाला शख्स महिला के लिए अजनबी था।