कर्नाटक से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के AI-जनरेटेड विजुअल का इस्तेमाल कर फर्जी ट्रंप होटल रेंटल ऐप (Trump Hotel rentals) का उपयोग किया गया, जिससे कर्नाटक में कई लोगों को ठगा गया। धोखाधड़ी करने वाले ट्रंप ऐप के पीछे साइबर अपराधियों ने पीड़ितों को उच्च रिटर्न का वादा करके प्रेरित किया, जिससे उन्हें करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। हावेरी के पुलिस अधीक्षक अंशुकुमार के बताया कि धोखेबाजों ने Trump Hotel rentals नामक एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाया था। बता दें कि पहले 1500 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस लेते थे और लोगों को भरोसा दिलाने के लिए वापस 500 रुपये लौटा देते थे।
कर्नाटक में कई लोगों को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एआई-जनरेटेड विजुअल का उपयोग करके फर्जी ‘ट्रंप होटल रेंटल’ योजना में निवेश करने के लिए धोखा दिया गया। पुलिस के अनुसार, साइबर अपराधियों ने ट्रंप ऐप नामक एक फर्जी मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके कई जिलों में नागरिकों को ठगा, जिसके परिणामस्वरूप करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
ट्रंप होटल रेंटल ऐप के नाम पर फंसाया
हावेरी के पुलिस अधीक्षक अंशुकुमार के बताया कि धोखेबाजों ने ट्रंप होटल रेंटल ऐप नामक एक मोबाइल एप्लीकेशन बनाया था। जिसका दावा था कि यह ट्रंप होटल रेंटल और निवेश से जुड़ा हुआ है। इस ऐप ने सोशल मीडिया के माध्यम से पॉपुलरिटी हासिल की, जिसमें यूजर्स को कम समय में उच्च रिटर्न का वादा किया गया। पीड़ितों में व्यवसायी और वकील से लेकर छात्र और सरकारी कर्मचारी तक अलग-अलग पेशे शामिल हैं।
हावेरी जिले में 15 से ज्यादा लोगों के साथ धोखाधड़ी
बता दें कि बेंगलुरु, तुमकुरु, मंगलुरु, हावेरी और अन्य जिलों में धोखाधड़ी की खबरें सामने आई हैं। अकेले हावेरी में 15 से ज्यादा लोग सामने आए हैं। एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर जिले में एफआईआर दर्ज की गई है, जिसने कथित तौर पर 6 लाख रुपये गंवाए हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्होंने जनवरी में यूट्यूब पर निवेश का अवसर देखा था, जहां एआई-जनरेटेड ट्रंप वीडियो में उच्च रिटर्न का वादा किया गया था।
पुलिस ने क्या बताया?
हावेरी जिले के एसपी अंशु कुमार ने कहा कि ट्रंप के नाम पर ऐप के जरिये लोगों के साथ जालसाजी के कुछ मामले जिले से सामने आए हैं, ट्रंप होटल रेंटल नाम के इस ऐप में पहले निवेशक को 500 या 1000 रुपये निवेश करने को कहा जाता है और उसे ऐप से 500 रुपये रिटर्न मिलते हैं, निवेशकों का भरोसा जीतने के बाद ऐप में बड़ी राशि निवेश करने और बदले में बड़ा रिटर्न देने का वादा किया जाता है और इस तरह ये फ्रॉड किया जाता है। पुलिस ने बताया कि पीड़ितों को घर से काम करने के लिए फर्जी काम भी दिए गए, जैसे कि कंपनी प्रोफाइल लिखना, जिसकी कमाई ऐप डैशबोर्ड पर दिखाई गई। हालांकि, कभी भी कोई वास्तविक पैसा नहीं दिया गया।
पुलिस ने दर्ज किया मामला
बता दें कि हावेरी साइबर क्राइम, इकोनॉमिक्स एंड नारकोटिक्स (सीईएन) में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच कर रही है। पुलिस अब अपराधियों के डिजिटल फुटप्रिंट पर नजर रख रही है।