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जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लाया जा सकता है महाभियोग, पूरी हो गई तैयारी

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से जले हुए नोट मिलने के बाद भ्रष्टाचार के आरोप लगे। अब सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश पर उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू की सभी दलों से बात हो गई है और सभी इस पर सहमत हो गए हैं।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Jun 6, 2025 18:01
Justice yashwant varma and parliament of india
संसद के मानसून सत्र में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है (फोटो सोर्स- ANI)

भ्रष्टाचार के मामले में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 14 मार्च  2025 को जस्टिस यशवंत वर्मा के नई दिल्ली घर के स्टोर रूम में आग लगने के बाद पहुंचे कर्मियों को बड़ी संख्या में जले हुए नोट मिले थे। इसके बाद वह विवादों में आ गए थे। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। इस गंभीर आरोप और घर से भारी संख्या में नोट बरामद होने के बाद भी जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस्तीफा देने से मना कर दिया था। अब उनके खिलाफ महाभियोग लाया जा सकता है।

महाभियोग पर सभी दलों की सहमति

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राष्ट्रपति को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार महाभियोग लाने की तैयारी में जुट गई थी। बताया जा रहा है कि संसद के मॉनसून सत्र में सरकार महाभियोग ला सकती है, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग लाने के लिए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने सभी दलों से बात की है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सभी दल जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए सहमत हैं।

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इससे पहले इस मुद्दे को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कई बैठक की थी। कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल से मुलाकात करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले और इसकी जानकारी दी थी। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा के साथ राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात की थी।

किस जज के खिलाफ आया था पहला महाभियोग?

वैसे तो अब तक 5 जजों के खिलाफ महाभियोग आ चुका है लेकिन वी. रामास्वामी जे पहले ऐसे न्यायाधीश थे जिनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की गई थी। 1993 में लोकसभा में प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन बहुमत हासिल करने में विफल रहा। इससे कार्रवाई पूरी नहीं की जा सकी थी। कलकत्ता उच्च न्यायालय के जस्टिस सौमित्र सेन जे के खिलाफ साल 2011 में राज्य सभा में महाभियोग प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

“आरक्षण के मुद्दे पर आपत्तिजनक टिप्पणी” के मामले को लेकर गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस जे.बी. पारदीवाला के खिलाफ साल 2015 में राज्यसभा के 58 सदस्यों ने महाभियोग प्रस्ताव लाने पर सहमित जताई थी, इसके बाद उन्हें महाभियोग नोटिस पेश किया गया था। साल 2015 में ही राज्यसभा के 50 से अधिक सदस्यों ने जज एस.के. गंगेले पर पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने के बाद पद से हटाने की मांग को लेकर महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि जांच समिति को यौन उत्पीड़न के आरोप को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिले थे। यह प्रस्ताव गिर गया था।


इसके साथ ही साल  2017 में राज्यसभा के सांसदों ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हाई कोर्ट के जस्टिस सी.वी. नागार्जुन रेड्डी जे. के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव पेश किया था। मार्च 2018 में विपक्षी दलों ने CJI दीपक मिश्रा और  के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लगाया गया था। वहीं सिक्किम उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी.डी. दिनाकरन जे के खिलाफ जांच के लिए राज्यसभा के सभापति द्वारा न्यायिक पैनल गठित किया गया था, हालांकि महाभियोग की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

 

First published on: Jun 06, 2025 05:59 PM

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