ISRO New Mission Indian Space Station: चंद्रयान और सूर्ययान की सफलता के बाद भारत गगनयान मिशन पूरा करने की तैयारी में जुटा है। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और मिशन पर काम करना शुरू कर दिया है। इस मिशन का नाम है Indian Space Station, जिसे बनाने में अंतरिक्ष वैज्ञानिक जुट गए है। 2035 तक अंतरिक्ष में पृथ्वी की निचली कक्षा में इंडियन स्पेस स्टेशन को स्थापित करने का टागरेट है।
स्पेस स्टेशन स्थापित करने वाला चौथा देश होगा
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का कहना है कि अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मॉड्यूल अगले कुछ वर्षों में लॉन्च किया जा सकता है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में ऐलान किया था कि अब हम अंतरिक्ष में अपना स्पेस स्टेशन बनाएंगे। अभी तक रूस, अमेरिका और चीन के स्पेस स्टेशन हैं। अब भारत स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में स्थापित करने वाला दुनिया का चौथा देश बन सकता है।
ON FEBRUARY 28, 2024, FINALIZED RENDER OF INDIAN SPACE STATION, ALSO KNOWN AS BHARATIYA SPACE STATION, WAS DISPLAYED IN INDIA SPACE VISION 2047 PROGRAM AT VIKRAM SARABHAI SPACE CENTRE#ISRO #Gaganyaan #Space pic.twitter.com/CwR936Lotz
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धरती के 400 किलोमीटर के दायरे में स्थापित होगा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक डॉ. उन्नीकृष्णन नायर का कहना है कि अंतरिक्ष स्टेशन बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर के दायरे में स्पेस स्टेशन को स्थापित करने की योजना है।
इस स्पेस स्टेशन के जरिए खगोल विज्ञान, अंतरिक्ष में माइक्रोग्रैविटी, चंद्रमा की सतह पर घर बनाने की संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं। अंतरिक्ष स्टेशन का वजन लगभग 20 टन हो सकता है। इसमें इन्फ्लेटेबल मॉड्यूल भी जोड़े जा सकते हैं तो आखिर में फाइनल स्पेस स्टेशन का वजन 400 टन हो सकता है।
Dr. Somanath has informed that the design of the Bharatiya Antariksh Station is almost finalized! 🎯
As we know, its first module (which will be an uncrewed module weighing 8t) will be launched on an LVM3 in 2028. #ISRO
New official render of BAS: pic.twitter.com/O42GzqVCOS
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) February 29, 2024
स्पेस स्टेशन कुछ इस तरह से बनाया जाएगा
अंतरिक्ष स्टेशन के एक छोर पर क्रू मॉड्यूल और रॉकेट के लिए डॉकिंग पोर्ट होगा, जो अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाएगा। भारत इसके लिए 21वीं सदी की हाई-फाई और मॉडर्न टेक्नोलॉजी से विशेष डॉकिंग पोर्ट बना रहा है। स्पेस स्टेशन में 4 अलग-अलग मॉड्यूल और कम से कम 4 सौर पैनल हो सकते हैं।
आपात्कालीन स्थिति के लिए एक क्रू मॉड्यूल एस्केप सिस्टम भी होगा। यह अंतरिक्ष की गर्मी के अनुकूल और ऑक्सीजन पैदा करने में सक्षम होगा। प्रधान मंत्री मोदी ने निर्देश दिया कि भारत को अब अंतरिक्ष की दुनिया से जुड़े अपने आगामी लक्ष्यों पर फोकस करना है, इनमें 2035 तक स्पेस स्टेशन स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजना शामिल है।
#StatecraftInTheNews: (1/7) On Tuesday, Indian PM Narendra Modi outlined India’s ambitious plans to launch its own space station by 2035 during a visit to the Vikram Sarabhai Space Centre (VSSC) in Thiruvananthapuram. pic.twitter.com/NKhNwSVuog
— Statecraft (@statecraftdaily) February 28, 2024
कैसे काम करता स्पेस स्टेशन, क्यों पड़ी जरूरत?
स्पेस स्टेशन पहिए की शेप में और 5 बेडरूम वाले घर या बोइंग जेट जितना बड़ा हो सकता है। इसमें 6 लोगों का क्रू और कुछ वैज्ञानिक ठहर सकते हैं। यह अंतरिक्ष में घूमता रहता है और आर्टिफिशियल ग्रेविटी बनाता है। रॉकेट के जरिए धरती से रिसर्च से जुड़ी चीजें, उपकरण, मशीनें, खाने-पीने का सामान आदि स्पेस स्टेशन तक पहुंचाया जा सकता है। स्पेस स्टेशन एक तरह की रिसर्च लैब होती है, जिसके अंदर रहकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक रिसर्च कर सकते हैं।
स्पेस स्टेशन से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अलग-अलग ग्रहों पर मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री डेटा और सैंपल इस सेंटर तक पहुंचाएंगे और वहीं रिसर्च करके वैज्ञानिक रिजल्ट पता लगा लेंगे, जिससे धरती पर रहने वाले लोगों का फायदा होगा। अभी तक अंतरिक्ष से डेटा और सैंपल धरती पर लाया जाता है और इसरो की लैब में रिसर्च होती है, लेकिन अकसर डेटा-सैंपल किन्हीं कारणों से धरती तक नहीं पहुंच पाते, इसलिए स्पेस स्टेशन की जरूरत महसूस हुई।