IPO Scam, नई दिल्ली/हैदराबाद: आम तौर पर इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) पैसा लगाना सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसमें भी बहुत होशियार रहने की जरूरत है। दरअसल, हाल ही में इसी तरह का एक मामला सामने आया है। इस मामले में एक चौंकाने वाली बात यह है कि यह घोटाला IPO से जुड़ा हुआ है और दूसरा हैरान कर देने वाला पहलू इसका विदेशी कनेक्शन है। अब मामले की जांच कर रहे एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने एक अमेरिकी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी के बाद इन्हें कोर्ट में पेश किया गया तो कोर्ट ने 25 अक्टूबर तक ED की हिरासत में भेज दिया गया।
सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की तरफ से दी गई थी शेयर्स में गड़बड़ी की शिकायत
गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान अमेरिका में रह रहे पवन कुचाना, वानूआतू गणराज्य के रहने वाले निर्मल कोटेचा और भारतीय नागरिक किशोर तापड़िया के रूप में हुई है। इस बारे में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट से मिली जानकारी के अनुसार बीते दिनों सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की तरफ से तक्षशील सॉल्यूशंस लिमिटेड, उसके डायरेक्टर्स और अन्य के खिलाफ गड़बड़ी की शिकायत दी गई थी। इस शिकायत में बताया गया था कि 10 रुपए की कीमत के 55 लाख शेयरों के IPO में कुछ गड़बड़ी है।
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Directorate of Enforcement (ED) arrested Nirmal Kotecha, Pavan Kuchana and Kishore Tapadia under the provisions of the Prevention of Money Laundering Act (PMLA), 2002 on October 11 in the case of the Initial Public Offer (IPO) scam of Taksheel Solutions Limited, Hyderabad. The… pic.twitter.com/qsN8D4VfUN
— ANI (@ANI) October 13, 2023
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मामले की जांच कर रही एजेंसी की तरफ से बताया गया है कि पवन कुचाना, निर्मल कोटेचा और किशोर तापड़िया ने तक्षशील सॉल्यूशंस लिमिटेड का रैवेन्यू बढ़ाने के लिए IPO जारी करने और फिर उससे हासिल धनराशि को ठिकाने लगाने के लिए पूरी प्लानिंग के साथ काम किया। IPO लाने की प्लानिंग के बाद निर्मल कोटेचा ने तक्षशील सॉल्यूशंस लिमिटेड को 34.50 करोड़ रुपए का इंटर कॉपोरेट डिपोजिट मुहैया कराया। फर्म ने शेयर्स का इश्यू प्राइस 150 रुपए तय किया और फिर इसके बाद इनके जरिये 80.50 करोड़ रुपए जुटाए। बाद में इसमें से 34.50 करोड़ रुपए वापस लौटाने के बहाने अमेरिका में चल रही पवन कुचाना की यूनिट्स को भेजा गया तो वहां से सिंगापुर और हॉन्गकांग में चल रही निर्मल कोटेचा की यूनिट्स को 30.50 करोड़ ट्रांसफर किए गए।
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एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) की तरफ से दावा किया गया है कि IPO से कमाए गए 80.50 करोड़ में से 23 करोड़ रुपए भारत की कंपनियों को ट्रांसफर किए, जिन्हें सॉफ्टवेयर खरीदने की आड़ दी गई। आखिर में हांगकांग और दुबई में चल रही निर्मल कोटेचा की फर्म्स को भेज दिए गए। इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद 11 अक्टूबर को पवन कुचाना, निर्मल कोटेचा और किशोर तापड़िया को हिरासत में लिया गया। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) 2002 के तहत कार्रवाई आगे बढ़ाते हुए गुरुवार को इन्हें हैदराबाद में एमएसजे नामपल्ली की अदालत में पेश किया गया। कोर्ट ने इन तीनों को 25 अक्टूबर तक डायरेक्टरेट की हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।
इस तरह से होता है घालमेल
मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट पर गौर करें तो IPO का सब्सिक्रिप्शन प्रोसेस पूरी तरह से मैनिपुलेट होता है। लगभग 50 या इससे ज्यादा छोटे ऑपरेटर्स को मिलाकर कोई बड़ा ऑपरेटर एक नेटवर्क तैयार करता है। नेटवर्क की तरफ से सारा जोर सब्सिक्रिप्शन बढ़ाने पर लगाया जाता है। हर IPO पर लगभग 20 प्रतिशत कमीशन के साथ डील हो जाने के बाद हजारों की संख्या एप्लिकेशन डाले जाते हैं, जिससे IPO की लिस्टिंग प्रीमियम पर होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि लिस्टिंग प्रीमियम पर होने के बावजूद इसे खरीदने वाले को तय राशि ही मिलती है।