Infosys co-founder N Narayana Murthy Wipro chairman Azim Premji: इंफोसिस के को फाउंडर एन नारायण मूर्ति को कौन नहीं जानता है। उन्हें इतनी बड़ी सफलता ऐसे ही नहीं मिली बल्कि यह एक लंबे संघर्ष और मेहनत का नतीजा है। क्या आपको पता है कि लाखों करोड़ की कंपनी के मालिक नारायण मूर्ति को एकबार नौकरी से रिजेक्ट होना पड़ा था। नारायण मूर्ति को नौकरी देने से इनकार करने वाले शख्स भी कोई आम आदमी नहीं बल्कि विप्रो के पूर्व अध्यक्ष अजीम प्रेमजी थे। नारायण मूर्ति एक समय विप्रो में नौकरी चाहते थे, लेकिन अजीम प्रेमजी ने उन्हें ठुकरा दिया था। उस समय वे सोच भी नहीं सकते थे कि नौकरी मांगने वाला यह शख्स एकदिन इतना बड़ा आदमी बन जाएगा।
विप्रो से आवेदन अस्वीकार होने की बात नारायण मूर्ति ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में बताई है। सीएनबीसी-टीवी18 को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि विप्रो के पूर्व अध्यक्ष अजीम प्रेमजी ने बाद में उनसे कहा कि उन्हें काम पर न रखने का निर्णय एक गलती थी। उन्होंने बताया कि अजीम ने उनसे कहा कि अगर उन्हें विप्रो ने काम पर रख लिया होता तो दोनों और विप्रो के लिए चीजें अलग-अलग होतीं।
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उधार लेकर शुरू की इंफोसिस
विप्रो में नौकरी का आवेदन रिजेक्ट हो जाने के बाद नारायण मूर्ति ने इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनी बना दी। साल 1981 में उन्होंने अपने 6 साथियों के साथ कंपनी शुरू करने की योजना बनाई। इतना ही नहीं उन्हें इनफोसिस को शुरू करने के लिए 10 हजार रुपये उधार लेना पड़ा। बता दें कि इंनफोसिस इस समय देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी है।
खड़ी कर दी तीन गुना बड़ी कंपनी
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक 12 जनवरी 2024 तक, इंफोसिस का मूल्य 6.65 लाख करोड़ रुपये और विप्रो का मूल्य 2.43 लाख करोड़ रुपये है। यानी नारायण मूर्ति की कंपनी इस समय विप्रो से तीन गुना बड़ी है। नारायण मूर्ति ने अपने करियर की शुरुआत आईआईएम अहमदाबाद में नौकरी से की थी। यहां वे चीफ सिस्टम प्रोग्रामर थे। इंफोसिस से पहले उन्होंने सॉफ्ट्रोनिक्स की स्थापना की थी जो सफल नहीं हो पाई।
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