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‘ढाई साल की ट्रेनिंग ढाई महीने में की पूरी’, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की जमकर तारीफ

भारत धरती की सतह से ऊपर की दुनिया में लगातार नए कीर्तिमान बना रहा है। चंद्रयान से मंगलयान तक की यात्रा और अब गगनयान मिशन की तैयारी भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का प्रतीक है। अंतरिक्ष तकनीक का लाभ गांवों तक पहुंच रहा है, चाहे वह मौसम की निगरानी हो, संचार उपग्रह हों या आपदा प्रबंधन।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Avinash Tiwari Updated: Aug 24, 2025 12:18
Defence Minister
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अंतरिक्ष यात्रियों को किया सम्मानित

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गगनयात्रियों के सम्मान समारोह में शामिल हुए, इस कार्यक्रम में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके अन्य सहयोगियों ग्रुप कैप्टन पी वी नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप का सम्मान किया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल अनिल चौहान और वायु सेना प्रमुख, एयर मार्शल एपी सिंह भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज का भारत, धरती की सतह से ऊपर की दुनिया में लगातार आगे बढ़ रहा है। आज जब हम भारत की स्पेस यात्रा की ओर देखते हैं तो पाते हैं कि हमारा सहयोग केवल अंतरिक्ष में उपग्रह भेजने तक सीमित नहीं है। आज भारत चंद्रमा से लेकर मंगल ग्रह तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। भारत गगनयान जैसे मिशन के लिए भी पूरी तरह तैयार है। मैं इसे केवल तकनीकी उपलब्धि के रूप में नहीं देखता, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत का वह नया अध्याय है, जहां हम विश्व की सबसे बड़ी स्पेस पावर के रूप में गर्व के साथ खड़े हो रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल प्रयोगशालाओं और लॉन्च व्हीकल तक सीमित नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं और वैश्विक दृष्टि का प्रतीक है। चंद्रयान से लेकर मंगलयान तक हमने यह सिद्ध किया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद यदि इच्छाशक्ति असीमित हो तो कोई भी लक्ष्य हमारे सामने छोटा पड़ जाता है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का विजन स्पष्ट है। भारत, स्पेस को केवल शोध के क्षेत्र के रूप में नहीं देखता है, बल्कि हम इसे आने वाले कल की इकोनॉमी, सुरक्षा, ऊर्जा और मानवता के भविष्य के रूप में देखते हैं। इस यात्रा में भारत पीछे नहीं रह सकता। हमें आगे बढ़ना है, हमें नेतृत्व करना है। यही कारण है कि आज हम अपने उन नायकों का अभिनंदन कर रहे हैं, जो केवल अंतरिक्ष यात्री ही नहीं, बल्कि इस राष्ट्रीय स्वप्न के अग्रदूत भी हैं।

इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन की जमकर तारीफ

मंत्री ने आगे कहा कि स्पेस से प्राप्त तकनीकें, चाहे वह संचार उपग्रह हों, मौसम की निगरानी हो या प्राकृतिक आपदाओं से निपटना हो, आज भारत के गांव तक सेवा पहुंचा रही हैं। आने वाले समय में अंतरिक्ष खनन, गहन अंतरिक्ष अन्वेषण और ग्रहीय संसाधन भी मानव सभ्यता की दिशा बदल देंगे। इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन के साधन और वहां का प्रशिक्षण माहौल मुझे काफी आकर्षक लगा। अभी हमारे सामने उसी इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन की सफल प्रतिमूर्ति के रूप में शुभांशु दिखाई दे रहे हैं। मुझे यह देखकर गर्व हो रहा है कि शुभांशु ने वह जीवटता और साहस दिखाया है, जो भारत की मिट्टी का प्रतिनिधित्व करता है।

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि कई बार लंबी अवधि के मिशनों में अंतरिक्ष यात्रियों के लचीलेपन और भलाई को बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया जाता है। इसलिए एक अंतरिक्ष यात्री के लिए शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से तैयारी करना बहुत जरूरी है। ऐसे में इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन ने अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

यह भी पढ़ें : ‘अपना स्पेस स्टेशन बनाएगा भारत’, स्पेस डे के मौके पर बोले पीएम मोदी, शुभांशु शुक्ला का भी किया जिक्र

उन्होंने कहा कि शुभांशु शुक्ला जैसे व्यक्तित्व हम सबके लिए गर्व का विषय हैं। मुझे जानकारी दी गई कि सामान्यतः अंतरिक्ष यात्रियों की प्रक्रिया 2 से ढाई वर्षों तक चलती है, लेकिन शुक्ला ने अपनी लगन और समर्पण से इसे मात्र ढाई महीनों में पूरा कर दिखाया। यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत क्षमता का प्रमाण है, बल्कि हम भारतवासियों के परिश्रमी मन का भी प्रतीक है। शुभांशु भले ही वायुसेना की वर्दी पहनते हों, लेकिन जब वे अंतरिक्ष में गए, तो वे केवल भारत के जवान ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के प्रतिनिधि बने। आपका यह योगदान इतिहास में दर्ज किया जाएगा।

First published on: Aug 24, 2025 12:18 PM

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