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Explainer: बिना तलाक कर सकते हैं दूसरी शादी? जानें इंडिया में इसको लेकर क्या हैं नियम

Indian Marriage Act 1955: स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत यदि किसी व्यक्ति की शादी इस अधिनियम के तहत हुई है, तो उसे दूसरी शादी करने से पहले तलाक लेना अनिवार्य है। लेकिन कानून में धारा 108 (एविडेंस एक्ट) होती है, जिसमें यदि किसी व्यक्ति का जीवनसाथी 7 साल से लापता है तो कोर्ट उसे दूसरी शादी की परमिशन दे सकती है।

Author Edited By : Amit Kasana Updated: May 27, 2025 18:07
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Indian Marriage Act 1955

Indian Marriage Act 1955: लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को परिवार व पार्टी (राजद) से बेदखल कर दिया है। दरअसल, बिहार में इस सात के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले हुए इस घमासान का कारण तेज प्रताप और अनुष्का यादव की सोशल मीडिया पर वायरल कुछ तस्वीरें व वीडियो हैं। दोनों फोटो में एक-दूसरे के प्यार में और बेहद करीब नजर आ रहे हैं। कुछ फोटो में तो अनुष्का ने मांग में सिंदूर भी भरा हुआ है। हालांकि इस सब के बाद तेज प्रताप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के हैक करने की बात कही। वहीं, तेज प्रताप के भाई तेजस्वी यादव और अनुष्का के भाई आकाश यादव ने दोनों के बालिग होने और उनका निजी मामला होने का बयान देकर पूरे प्रकरण से अपना पल्ला ही झाड़ लिया है।

इस सब के बीच यहां सवाल ये उठ रहा है कि तेज प्रताप यादव पहले से शादीशुदा हैं। उनका अपनी पहली पत्नी ऐश्वर्या यादव से तलाक का केस कोर्ट में विचाराधीन है, तो क्या तेज प्रताप तलाक लिए बिना दूसरी शादी कर सकते हैं? अगर तेज प्रताप या इंडिया में कोई शख्स ऐसा कर लेता है तो क्या ये रिश्ता कानून में मान्य होगा? आइए आपको इस खबर में इंडिया में शादी और तलाक को लेकर अलग-अलग धर्म में क्या नियम हैं डिटेल में बताते हैं।

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भारत में बिना तलाक लिए दूसरी शादी करना अवैध है और कानून की नजर में इसे द्विविवाह कहते हैं

जानकारी के अनुसार भारत में बिना तलाक लिए दूसरी शादी करना अवैध है और कानून की नजर में इसे द्विविवाह (Bigamy) माना जाएगा। कानून की बात करें तो BNS 82 (भारतीय न्याय संहिता) या भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 494 के तहत यदि कोई व्यक्ति अपनी पहली शादी को कानूनी रूप से खत्म किए बिना दूसरी शादी करता है, तो यह क्राइम की श्रेणी में आता है और इसके लिए 7 साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।

भारत में अलग-अलग धर्मों में शादी को लेकर क्या लॉ हैं।

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म के अनुयायियों पर लागू होता है। जब तक पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त नहीं होती, दूसरी शादी अवैध मानी जाती है।

मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत), 1937: मुस्लिम पुरुषों को चार शादियां करने की अनुमति है, लेकिन यदि कोई हिंदू व्यक्ति सिर्फ दूसरी शादी करने के लिए इस्लाम धर्म अपनाता है, तो यह भी अवैध माना जाएगा।

क्रिश्चियन मैरिज एक्ट, 1872 और पारसी मैरिज एंड डिवोर्स एक्ट, 1936: इन धर्मों में भी बिना तलाक दूसरी शादी अवैध है।

स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954: यदि किसी व्यक्ति की शादी इस अधिनियम के तहत हुई है, तो उसे दूसरी शादी करने से पहले तलाक लेना अनिवार्य है।

किन विशेष परिस्थितियों में कोर्ट बिना तलाक देती है दूसरी शादी की परमिशन, पहले करना होता है ये काम

दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले वकील मनीष भदौरिया ने बताया कि कानून के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति सिर्फ दूसरी शादी करने के लिए धर्म परिवर्तन करता है, तो यह कानून का दुरुपयोग माना जाएगा और IPC 494 के तहत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलवा दूसरी पत्नी को पहली शादी की जानकारी नहीं थी, तो कोर्ट उसे भरण-पोषण (maintenance) का अधिकार दे सकती है। उन्होंने आगे कानून के बारे में स्पष्ट करते हुए बताया कि कानून में धारा 108 (एविडेंस एक्ट) होती है, जिसमें यदि किसी व्यक्ति का जीवनसाथी 7 साल से लापता है और उसका कोई पता नहीं चल रहा तो वह कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकता है। जिसके बाद अदालत उनकी शादी को शून्य घोषित कर दूसरी शादी की अनुमति दे सकती है। लेकिन इससे पहले कोर्ट उक्त महिला या पुरूष की पूरी जांच करवाती है, उस शख्स के सात साल तक नहीं देखे या सुने जाने पर पुलिस उसे मृत मानकर अदालत को इसकी जानकारी देती है। जिसके बाद कोर्ट याचिकाकर्ता को दूसरी शादी की अनुमति दे सकती है।

भारत में तलाक लेने के लिए क्या हैं नियम?

भारत में तलाक लेने के नियम विभिन्न विवाह अधिनियमों और व्यक्तिगत कानूनों के तहत निर्धारित किए गए हैं। तलाक की प्रक्रिया इस पर निर्भर करती है कि यह आपसी सहमति से हो रहा है या एकतरफा (Contested Divorce)

  • आपसी सहमति से तलाक (Mutual Consent Divorce)
  • यदि पति-पत्नी दोनों तलाक के लिए सहमत हैं, तो वे हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13B के तहत याचिका दायर कर सकते हैं।
  • इसमें 6 महीने की अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि होती है, जिसे हाल ही में कुछ मामलों में माफ किया जा सकता है।
  • यह प्रक्रिया आमतौर पर 6 महीने से 1 साल में पूरी हो जाती है।

एकतरफा तलाक (Contested Divorce)

  • यदि पति या पत्नी में से कोई एक तलाक के लिए सहमत नहीं है, तो इसे एकतरफा तलाक कहा जाता है।
  • इसमें तलाक के लिए कानूनी आधार साबित करना आवश्यक होता है, जैसे व्यभिचार (Adultery), क्रूरता (Cruelty), त्याग (Desertion), धर्म परिवर्तन (Conversion of Religion), मानसिक विकृति (Mental Disorder), संक्रामक रोग (Incurable Disease), 7 साल से अधिक समय तक लापता रहना (Presumption of Death), यह प्रक्रिया 2-5 साल तक चल सकती है

तलाक के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • विवाह प्रमाण पत्र
  • पति-पत्नी की पहचान पत्र (आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि)
  • तलाक के कारणों का विवरण
  • संपत्ति और भरण-पोषण से संबंधित दस्तावेज

महत्वपूर्ण कानूनी बदलाव (2024-2025)

  • तीन तलाक को गैरकानूनी घोषित किया गया है और इस पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
  • गुजारा भत्ता (Alimony) के नियम अधिक सख्त हो गए हैं, जिससे महिलाओं के आर्थिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए भी भरण-पोषण का कानून बढ़ाया गया है.

तलाक की प्रक्रिया

  •  कोर्ट में याचिका दायर करें।
  • मध्यस्थता (Mediation) के लिए प्रयास करें।
  •  सुनवाई और साक्ष्य प्रस्तुत करें।
  • कोर्ट का अंतिम निर्णय।

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First published on: May 27, 2025 06:07 PM

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