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Independence Day: कैसे हुआ था 1947 का बंटवारे और किन अधिकारियों को मिली थी जिम्मेदारी? क्या रहे थे परिणाम और प्रभाव

1947 Partition Memoire: स्वतंत्रता दिवस पर 1947 के बंटवारे को जरूर याद किया जाता है, क्योंकि अंग्रेजों ने जब भारत को आजाद किया था, तब हिंदुस्तान के 2 टुकड़े भारत और पाकिस्तान में कर दिए थे। बंटवारे ने जहां हिंदुओं और मुसलमानों को बांट दिया था, वहीं दंगों, सांप्रदायिक हिंसा और दुश्मनी को बढ़ावा दिया था, जिसका परिणाम यह है कि भारत और पाकिस्तान आज भी एक दूसरे के कट्टर दुश्मन हैं।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Aug 13, 2025 22:31
1947 India Pakistan Partition
1947 India Pakistan Partition

15 August 1947 Partition Memoire: 200 साल की गुलामी के बाद भारत आज से 78 साल पहले 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ था। हजारों कुर्बानियों, नरसंहार, संग्रामों और कड़े संघर्ष के बाद जब स्वतंत्रता मिली तो कभी न भूल सकने वाला दर्द और जिंदगीभर की दुश्मनी भी भारत को विरासत में मिली। क्योंकि जिस दिन देश आजाद हुआ, भारत मां के 2 टुकड़े कर दिए गए। भारत हिंदुओं और मुसलमानों में बंट गया। भारत और पाकिस्तान में बंट गया। 1947 में हुए भारत-पाक बंटवारे ने भारत मां के सीने पर कई घाव दिए। इंसानियत तक को खत्म कर दिया था।

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ऐसे पड़ी थी बंटवारे की नींव

अंग्रेजों ने भारत पर 1757 से 1947 तक राज किया। 1757 से 1857 तक ईस्ट इंडिया कंपनी का राज रहा। 1858 से 1947 तक अंग्रेजों ने भारत पर राज किया। अंग्रेजों ने ही फूट डालो और राज करो की नीति पर चलकर भारत में हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव को बढ़ाया। 19वीं सदी के आखिर में देश को आजाद कराने के लिए सुलग रही ज्वाला भड़की।

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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC), मुस्लिम लीग जैसे संगठनों ने स्वतंत्रता की मांग शुरू की। मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए 2 राष्ट्र का सिद्धांत अपनाया। इस सिद्धांत का आधार था कि हिंदुओं और मुसलमानों के लिए 2 अलग-अलग राष्ट्र। इसके लिए मुस्लिम लीग ने 1940 में लाहौर में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र (पाकिस्तान) की मांग की गई।

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ऐसे शुरू हुई थी बंटवारे की प्रक्रिया

3 जून 1947 को अंग्रेजों के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने हिंदुस्तान को 2 देशों भारत और पाकिस्तान में विभाजित करने का प्रस्ताव दिया। इस प्रस्ताव पर तेजी से काम किया गया, क्योंकि अंग्रेज उस समय जल्द से जल्द भारत छोड़कर जाना चाहते थे। सर सिरिल रैडक्लिफ को भारत और पाकिस्तान की सीमाएं तय करने का जिम्मा सौंपा गया था। उन्होंने पंजाब और बंगाल के विभाजन के लिए सीमा रेखा (रैडक्लिफ लाइन) खींची, जो हिंदू-मुस्लिम धर्म के आधार पर खींची गई थी।

किस आधार पर किया गया था बंटवारा?

भारत और पाकिस्तान में बंटवारे के लिए धर्म को आधार बनाया गया। पाकिस्तान में मुस्लिम-बहुल इलाके पश्चिमी पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और पूर्वी बंगाल शामिल किए गए। भारत में हिंदू-बहुल इलाके रहे। स्वतंत्रता के समय 562 रियासतों को भारत या पाकिस्तान में शामिल होने का विकल्प दिया गया। इसी दौरान जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद और जूनागढ़ रियासतों के कारण विवाद पैदा हुआ।

15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने भारत को आजाद किया। 15 अगस्त 1947 को ही भारत और पाकिस्तान 2 अलग-अलग देश बन गए। पाकिस्तान ने 14 अगस्त 1947 को अपनी आजादी की घोषणा कर दी। रैडक्लिफ लाइन के आधार पर पंजाब और बंगाल का बंटवारा हुआ। पश्चिमी पाकिस्तान आज का पाकिस्तान बन गया और पूर्वी पाकिस्तान आज बांग्लादेश है।

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बंटवारे का परिणाम क्या रहा था?

भारत-पाकिस्तान में बंटवारा होने से लाखों लोग बेघर हुए। करीब 1.5 करोड़ लोग भारत से पाकिस्तान गए और पाकिस्तान से भारत आए। हिंदू और सिख समुदायों के लोग भारत आए, जबकि मुस्लिम समुदाय के लोग पाकिस्तान गए, लेकिन बंटवारे के दौरान सांप्रदायिक दंगे हुए। खासकर पंजाब और बंगाल में खून-खराबा हुआ।

जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने पहले स्वतंत्र रहने का फैसला किया, लेकिन पाकिस्तानी कबायलियों के हमले के बाद जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कर दिया। इस वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच 1947-48 में पहला युद्ध हुआ। वहीं भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर आज तक विवाद चल रहा है।

क्या थे बंटवारे के प्रमुख कारण?

भारत और पाकिस्तान में बंटवारे का मुख्य कारण हिंदू-मुस्लिम में धार्मिक विभाजन और हिंदुओं-मुसलमानों में बढ़ता तनाव था, जो अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति का परिणाम था। अंग्रेजों की विभाजनकारी नीतियों ने दोनों धर्मों के लोगों के बीच अविश्वास को बढ़ावा दिया। कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच एकल भारत को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के कारण ब्रिटिश साम्राज्य कमजोर पड़ गया था, जिस वजह से अंग्रेजों ने हिंदुस्तान को आजाद करने की जल्दबाजी में भारत मां के 2 टुकड़े कर दिए।

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इन्हें मिली थी बंटवारे की जिम्मेदारी

भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को फरवरी 1947 में भारत को आजाद करने और बंटवारे करने की प्रक्रिया को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने ही 3 जून 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन का हिंदुस्तान को 2 देशों भारत और पाकिस्तान में बांटने का प्रस्ताव कांग्रेस और मुस्लिम लीग के सामने पेश किया था। उन्होंने ही आजादी की तारीख 30 जून 1948 की बजाय 15 अगस्त 1947 तय की थी।

ब्रिटिश वकील सर सिरिल रैडक्लिफ को भारत और पाकिस्तान की सीमा तय करने की जिम्मेदारी मिली थी, जिन्होंने रैडक्लिफ लाइन तैयार की, जिसके आधार पर पंजाब और बंगाल का विभाजन हुआ। उन्होंने पंजाब बाउंड्री कमीशन और बंगाल बाउंड्री कमीशन बनाया था। पंजाब बाउंड्री कमीशन पंजाब को भारत और पश्चिमी पाकिस्तान में बांटने के लिए था। बंगाल बाउंड्री कमीशन बंगाल को भारत और पूर्वी पाकिस्तान में बांटने के लिए था।

क्योंकि रैडक्लिफ को भारत की भौगोलिक और सांस्कृतिक जानकारी नहीं थी और उन्हें सिर्फ 5 हफ्तों में अपना काम पूरा करना था, इसलिए उन्होंने धार्मिक आधार पर बंटवारा करके दंगों, तनाव और दुश्मनी को बढ़ावा दिया। हर बाउंड्री कमीशन में 2 सदस्य मुस्लिम लीग के और 2 सदस्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के थे। पंजाब बाउंड्री कमीशन के सदस्य मुस्लिम लीग की ओर से जस्टिस दिन मोहम्मद और जस्टिस मुहम्मद मुनीर थे। कांग्रेस की ओर से जस्टिस मेहर चंद महाजन और जस्टिस तेज सिंह थे।

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बंगाल बाउंड्री कमीशन के सदस्य मुस्लिम लीग की ओर से जस्टिस अबू सालेह मोहम्मद अकरम और जस्टिस शरीफुद्दीन अहमद थे। कांग्रेस की ओर से जस्टिस सुषिल चंद्र सेन और जस्टिस चमनलाल सेन थे। अपने-अपने समुदायों की भलाई कराने के लिए इन लोगों को कमीशन का मेंबर बनाया गया था, लेकिन सहमति नहीं बनने से रैडक्लिफ का फैसला माना गया।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्यों जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और अन्य नेताओं ने बंटवारे में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने लॉर्ड माउंटबेटन के प्रस्ताव को स्वीकार किया। रियासतों के विलय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। मुस्लिम लीग के नेताओं मोहम्मद अली जिन्ना और लियाकत अली खान ने पाकिस्तान के लिए काम किया और बंटवारे की शर्तों पर बातचीत की। महात्मा गांधी बंटवारे के खिलाफ थे, लेकिन उनकी भूमिका सांप्रदायिक हिंसा को रोकने और शांति स्थापित करने तक ही सीमित रही।

लॉर्ड वेवेल लॉर्ड माउंटबेटन से पहले वायसराय थे और उन्होंने 1946 में कैबिनेट मिशन प्रस्ताव दिया था, जो बंटवारे का आधार तो बना, लेकिन उस प्रस्ताव के प्रावधानों और नियमों पर काम नहीं किया गया। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने बंटवारे और स्वतंत्रता की प्रक्रिया को मंजूरी दी। सरदार वल्लभभाई पटेल और वीपी मेनन ने जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद, जूनागढ़ रियासतों को भारत या पाकिस्तान में विलय के लिए प्रेरित किया, लेकिन इस विलय के दौरान कश्मीर को लेकर विवाद हो गया, जो आज तक छिड़ा हुआ है।

First published on: Aug 13, 2025 10:03 PM

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